Tuesday, September 30, 2008

शाहरुख़ की युवा पीढ़ी से अपील

शाहरुख़ रविवार को दावत-ए-सहरी में शामिल हुए
हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के किंग कहे जाने वाले शाहरुख़ ख़ान ने युवा पीढ़ी से अपील की है कि वे आतंकवाद और हिंसा का रास्ता छोड़ दें.
देश के कई हिस्सों में हाल के बम धमाकों का ज़िक्र करते हुए शाहरुख़ ख़ान ने देश में सांप्रदायिक सदभाव बनाए रखने की अपील की है.
मुंबई में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने दावत-ए-सहरी का आयोजन किया था. इस आयोजन के मौक़े पर पत्रकारों से बातचीत में शाहरुख़ ख़ान ने ये बातें कहीं.
शाहरुख़ ने कहा, "कृपाशंकर सिंह का दावत-ए-सहरी का आयोजन करना ही ये साबित करता है कि इस्लाम और हिंदू धर्म भाईचारा और शांति को बढ़ावा देते हैं."
अपील
हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार ने युवा पीढ़ी से आतंक का रास्ता छोड़ने की अपील की और कहा,

"हाल की घटनाओं से न सिर्फ़ मुझे सदमा लगा है बल्कि शर्म भी आई है. ये सब अब रुकना चाहिए."
एक मुसलमान होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि मैं शांति का संदेश दूँ क्योंकि इस्लाम भी यही संदेश देता है, इस्लाम हिंसा की शिक्षा नहीं देता
शाहरुख़ ख़ान
उन्होंने कहा कि एक मुसलमान होने के नाते उनका कर्तव्य है कि वे शांति का संदेश फैलाएँ क्योंकि इस्लाम भी यही संदेश देता है, इस्लाम हिंसा की शिक्षा नहीं देता.
उन्होंने कहा कि रमज़ान का महीना पवित्र महीना होता है और इस महीने के दौरान ख़ुदा सबकी प्रार्थना का जवाब देते हैं. शाहरुख़ ने स्वीकार किया कि रमज़ान के दौरान वे नियमित रूप से रोज़ा नहीं रख पाए.
उन्होंने कहा कि व्यस्त कार्यक्रम के चलते उन्होंने सिर्फ़ सात दिन ही रोज़ा रखा था. इस समय रमज़ान का पवित्र महीना चल रहा है और माना जा रहा है कि एक अक्तूबर को ईद मनाई जाएगी
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गुजरात में विस्फोट: एक की मौत

गुजरात के साबरकाँठा ज़िले के मोडासा शहर में देर शाम एक विस्फोट होने की ख़बर है.
अधिकारियों का कहना है कि विस्फोट मुस्लिम बहुल इलाक़े में इफ़्तार के बाद रात 9 बजकर 40 मिनट पर हुआ.
इस विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हुई है और कम से कम सात लोग घायल हुए हैं.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विस्फोट एक मोटर साइकिल में हुआ है.
मरने वाले की पहचान 17 वर्षीय जैनुद्दीन आदिरमिया गोरी के रूप में की गई है.
घायलों को अस्पताल पहुँचाया गया है.
पत्रकार अजय उमठ ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से हुई बातचीत के आधार पर बताया कि विस्फोट से मोटरसाइकिल के पेट्रोल की टंकी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है.

अधिकारियों का कहना है कि यह देशी बम हो सकता है जिसका असर पेट्रोल की टंकी फटने से और ज़्यादा हो गई.
ज़िंदा बम मिले

इससे पहले सोमवार की सुबह गुजरात के ही अहमदाबाद में कालूपुरा इलाक़े में सरकार को 17 जीवित बम मिले थे.
एक कचरे के डिब्बे में मिले इन बमों को पुलिस के बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया.
इस घटना के बाद पुलिस ने पूरे शहर में सुरक्षा बढ़ा दी है.
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 26 जुलाई को अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 49 लोग मारे गए थे और 150 से ज़्यादा घायल हुए थे.
गुजरात में नवरात्र आज से ही शुरु हो रहा है. अहमदाबाद में बम बरामद होने के बाद विशेष एहतियाती क़दम उठाए जा रहे हैं.
इस बीच राजधानी दिल्ली से सटे फ़रीदाबाद में भी एक मंदिर के बाहर ज़िंदा बम बरामद किया गया. इसे निष्क्रिय कर दिया गया है.

Sunday, September 14, 2008

देश का माहौल बदलने की ज़रुरत'

विस्फोट में दिल्ली के मुख्य बाज़ारों को निशाना बनाया गया है'अगर दिल्ली में हुए ताज़ा विस्फोटों के पीछे चूक की बात करना शुरु करें तो बात हो जाएगी, सुरक्षा इंतज़ाम की, ख़ुफ़िया तंत्र की और सतर्कता की.
लेकिन एक बात स्पष्ट है कि आतंक की घटनाएँ सिर्फ़ तैनाती से नहीं रुक सकतीं. इसके लिए देश में माहौल को बदलना होगा और हर दिलोदिमाग में यह बात बिठानी होगी कि यह सरकार कार्रवाई करना चाहती है.

अगर कुछ हुआ तो दोषी लोगों को पकड़ा जाएगा और उन्हें सज़ा दी जाएगी.

इस समय जो माहौल है उसमें तो यह भी तय नहीं है कि जो घटना को अंजाम देगा उसे पकड़ा जाएगा, तय नहीं कि अगर पकड़ भी लिया गया तो सज़ा भी दी जाएगी और अगर सज़ा हो भी गई तो उसका कार्यान्वयन भी किया जाएगा.
अब तक तो आतंक से जुड़ी घटनाओं में सरकार कमज़ोर ही साबित हुई है.
संकेत
दिल्ली में जिन जगहों पर हमले हुए हैं वह एक ख़ास तरह के संकेत देता है.
इस बार हमला करने वालों ने कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश और करोल बाग़ जैसी जगहों को चुना है जहाँ आमतौर पर पढ़े-लिखे और संपन्न लोग आते हैं.
गृहराज्य मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया
यह बहुत अफ़सोस की बात है कि ख़ुफ़िया जानकारी के बाद भी राजधानी में हमले हो गए ऐसे मंत्री को तो अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए

प्रकाश सिंह
तो अब हमलावर पढ़े-लिखे लोगों को भी संकेत देना चाहते हैं कि अब वो भी सुरक्षित नहीं हैं और ऐसा नहीं है कि वो उन इलाक़ों में नहीं पहुच सकते जहाँ वो जाते रहे हैं.
इन हमलों से तो हमलावरों के दुस्साहस का ही परिचय मिलता है वो कहीं भी हमला कर सकते हैं और कभी भी हमला कर सकते हैं.
सख़्त क़ानून की ज़रूरत
गृहराज्यमंत्री शकील अहमद कह रहे हैं कि उनके पास सूचनाएँ थीं कि दिल्ली में आतंकी हमले हो सकते हैं और उसके बाद भी हमले हो गए.
यह बहुत अफ़सोस की बात है कि ख़ुफ़िया जानकारी के बाद भी राजधानी में हमले हो गए ऐसे मंत्री को तो अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
इतने लोग मारे गए और आप अभी भी गृहमंत्रालय में बैठे हुए हैं.
मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ कि इस देश में एक सख़्त आतंक विरोधी क़ानून की ज़रूरत है बल्कि मैं तो उन लोगों में से हूँ जो मानते हैं कि पोटा जैसा क़ानून भी पुराना पड़ चुका है.
जो घटनाएँ देश में हो रही हैं उसे अब पोटा से भी निपटा जा सकता.
दिक़्कत यह है कि हम कार्रवाई इतनी देर से करते हैं जब मर्ज़ बहुत बढ़ चुका होता है.

गणेश विसर्जन के लिए कड़ी सुरक्षा


दिल्ली में बम धमाकों के बाद मुंबई में गणेश विसर्जन के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गाया है.
मुंबई में पिछले 10 दिनों से चल रहे गणेश उत्सव की समाप्ति के साथ ही रविवार को गणेश विसर्जन की तैयारी चल रही है.
गृहमंत्री आरआर पाटिल ने पत्रकारों से कहा कि गणेश विसर्जन के मद्देनज़र सभी महत्वपूर्ण स्थलों पर विशेष रूप से सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं और चौकसी बरती जा रही है.
रमज़ान और अहमदाबाद में हुए बम धमाकों के मद्देनज़र मुंबई में पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी, लेकिन अब दिल्ली में हुए बम धमाकों के बाद तो मुंबई में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मुंबई में केंद्रीय सुरक्षा बल की 20 कंपनियाँ और तैनात कर दी गई हैं.
सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए छोटे और निजी वाहनों को किसी भी विसर्जन स्थल तक नहीं जाने दिया जाएगा.
इसके अलावा किसी को भी छोटे या बड़े प्लास्टिक के थैलों में गणेश प्रतिमा के साथ बहाने के लिए फूल या मालाएँ भी नहीं ले जाने दी जाएंगी.
अनुमान है कि गणेश विसर्जन के लिए लाखों लोग अपने घरों से बाहर होंगे
गणेश प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए जाने वाले ट्रकों को छह मीटर तक की ऊँचाई या इससे कम ऊँचाई वाले ट्रकों को ही कड़ी जाँच के बाद विसर्जन के लिए जाने की अनुमति दी जाएगी.
इसके अलावा मुंबई में ज़्यादातर विसर्जन स्थलों पर हो रही कार्रवाई पर नज़र रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं.
पुलिस का अनुमान है कि गणेश प्रतिमा के विसर्जन के लिए लाखों लोग अपने-अपने घरों से बाहर होंगे.
विसर्जन के मौक़े पर ट्रैफ़िक समस्या से निपटने के लिए पुलिस ने विशेष इंतज़ाम किए हैं.
मुंबई में कुछ प्रमुख सड़कों पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है.
ANJALI JHA (DELHI)

Saturday, September 13, 2008

तस्वीरों में- दिल्ली धमाकों की तस्वीरें


दिल्ली में पाँच धमाके, 18 की मौत


भारत की राजधानी दिल्ली में कम से कम पाँच धमाके हुए हैं. इन धमाकों में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है और 90 से ज़्यादा घायल हुए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश हाई एलर्ट पर हैं. महत्वपूर्ण है कि तीन जगहों - सेंट्रल पार्क, रीगल सिनेमा और इंडिया गेट पर बम निष्क्रिय किए गए हैं.
ग़फ़्फ़ार मार्केट ग्रेटर कैलाश-1, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए हैं. इनमें से दो जगह पर सीएनजी गैस सिलिंडर के धमाके हुए हैं. घायलों को राम मनोहर लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पतालों में ले जाया जा रहा है

दिल्ली पुलिस
दिल्ली में भारतीय समयानुसार लगभग साढ़े छह बजे सबसे पहले करोल बाग- ग़फ़्फ़ार मार्केट इलाक़े में धमाके की ख़बर आई. इसके बाद ग्रेटर कैलाश-1, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए. महत्वपूर्ण है कि इंडिया गेट के पास एक बम को पुलिस दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया है.
दिल्ली धमाकों की तस्वीरें
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने बीबीसी को बताया, "ग़फ़्फ़ार मार्केट ग्रेटर कैलाश, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए हैं. इनमें से दो जगह पर सीएनजी गैस सिलिंडर के धमाके हुए हैं. घायलों को राम मनोहर लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पतालों में ले जाया जा रहा है."
दिल्ली राममनोहर लोहिया अस्पताल के आपात विभाग के प्रमुख डॉक्टर एसके शर्मा ने बीबीसी संवाददाता श्याम सुंदर को बताया, "अस्पताल में 85 घायल लोगों को लाया गया जिनमें से नौ की मौत हो गई. अब भी 35 लोगो गंभीर रूप से घायल हैं और पाँच का ऑपरेशन हो गया है. लेकिन घायल अब भी अस्पताल पहुँच रहे हैं."
अस्पताल में 85 घायल लोगों को लाया गया जिनमें से नौ की मौत हो गई. अब भी 35 लोगो गंभीर रूप से घायल हैं और पाँच का ऑपरेशन हो गया है. लेकिन घायल अब भी अस्पताल पहुँच रहे हैं

आरएमएल अस्पताल के डॉक्टर
बीबीसी संवाददाता आलोक कुमार के अनुसार लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में आठ घायल लोगों को ले जाया गया जिनमें से से दो हालत गंभीर है.
इन धमाकों के ठीक पहले कुछ समाचार चैनलों को एक ईमेल मिला जिसमें इंडियन मुजाहिदीन नाम के एक संगठन ने इन हमलों की ज़िम्मेदार ली है. हालाँकि गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि इस समय किसी भी संगठन का नाम लेना बहुत मुश्किल है लेकिन हम इन कारनामों को अंजाम देने वाले लोगों को ख़ोज निकालेंगे.
अहमदाबाद धमाकों के ठीक पहले भी इसी तरह के ईमेल में इस संगठन ने धमाकों की ज़िम्मेदारी ली थी.
मैंने एक कूड़ेदान के पास से धुँआ उठता देखा और एक महिला को गिरते हुए भी देखा. एक ऑटो में कुछ घायलों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन देखते ही देखते ऑटो का फ़र्श ख़ून से भर गया.

कनॉट प्लेस में एक प्रत्यक्षदर्शी
अफ़रा-तफ़री का माहौल
करोल बाग- ग़फ़्फ़ार मार्केट के भीड़-भाड़ वाले इलाक़े में जब विस्फोट हुआ तो वहाँ अफ़रा-तफ़री फैल गई. कई दमकल वाहन उस इलाक़े में पहुँचे लेकिन संकरी गलियों से इन वाहनों और एंबुलेंस का उस क्षेत्र में दाख़िल होने में काफ़ी दिक्कत पेश आई.
उस धमाके में कई लोग हताहत हुए क्योंकि शनिवार की शाम वहाँ काफ़ी गहमागहमी थी. इसके बाद ग्रेटर कैलाश के पॉश इलाक़े की एम-ब्लाक मार्किट और कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड पर धमाकों की ख़बर आई.
हमें लगा कि किसी गाड़ी में या सिलेंडर में धमाका हुआ है. इसके बाद कुछ अफ़रा-तफ़री सी मच गई. कुछ लोग यह देखने के लिए लपके कि किस वजह से धमाका हुआ है. धमाका होने के कुछ ही देर बल्कि 10-15 मिनट के अंतराल पर ही एक और धमाका हुआ.

जय कुमार, प्रत्यक्षदर्शी
बीबीसी संवाददाता पाणिनी आनंद के अनुसार ग्रेटर कैलाश-1 में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्हें दो धमाके सुने. पहले धमाके के बाद ही लोगों में अफ़रा-तफ़री फैल गई और मार्किट में भगदड़ मच गई. कई लोगों के शरीर में वाहनों और दुकानों के टूटे हुए शीशे लगे लेकिन किसी को गंभीर चोट नहीं आई.
कनॉट प्लेस में एक प्रत्यक्षदर्शी ने बीबीसी संवाददाता नादिया परवेज़ को बताया, "बाराखंभा रोड पर गोपालदास इमारत के पास धमाके की आवाज़ सुनाई दी और फिर मैने एक कूड़ेदान के पास से धुँआ उठता देखा. मैंने एक महिला को गिरते हुए भी देखा. एक ऑटो में कुछ घायलों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन देखते ही देखते ऑटो का फ़र्श ख़ून से भर गया. कई लोगों को पुलिस वाहनों ने अस्पताल पहुँचाया."
लेकिन दूसरी ओर लोगों में तनाव इतना बढ़ गया कि इन इलाक़ों के आसपास की सड़कें जाम हो गईं और सभी लोग घटनास्थल से दूर भागने लगे. शहर में तनाव व्याप्त है और अनेक बाज़ार खाली हो गए हैं.
हाल में हुए प्रमुख चरमपंथी हमले इस प्रकार हैं:
29 अक्तूबर 2005 - दिल्ली में तीन जग़हों पर हुए बम धमाकों में 62 लोग मारे गए और अनेक लोग घायल हुए.
7 मार्च 2006 - उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रेलवे स्टेशन और संकटमोचन मंदिर में हुए बम धमाकों में 20 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
11 जुलाई 2006 - मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों में 170 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए.
8 सितंबर 2006 - महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मालेगाँव शहर में एक मस्जिद के पास हुए तीन बम धमाकों में 37 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए.
18 फ़रवरी 2007 - दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस में हुए दो धमाकों में 66 लोग जलकर मारे गए जिसमें से अधिकतर पाकिस्तानी थे.
18 मई 2007 - हैदराबाद की मक्का मस्जिद में नमाज़ के दौरान हुए धमाके में 11 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
25 अगस्त 2007 - हैदराबाद में हुए बम विस्फोट में 42 लोग मारे गए और लगभग सौ लोग घायल हुए.
11 अक्तूबर 2007 - राजस्थान में अजमेर स्थित ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हुए धमाके में दो लोग मारे गए

Friday, September 12, 2008

परमाणु समझौता अमरीकी संसद में पेश


जुलाई, 2005 में मनमोहन-बुश बातचीत के बाद इस समझौते की प्रक्रिया शुरु हुई थी
भारत-अमरीका परमाणु समझौते संबंधी दस्तावेज़ को अमरीकी संसद में पेश कर दिया गया है. वहाँ इसे अंतिम मंज़ूरी मिलने के बाद ही समझौता लागू हो सकेगा.
अमरीकी विदेश उपमंत्री रिचर्ड बाउचर ने कहा है कि संसद के सामने एक मज़बूत दस्तावेज़ पेश किया गया है और आशा करनी चाहिए कि कांग्रेस इसे मंज़ूरी देने के लिए समय निकालेगी.
राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भी बयान जारी करके उम्मीद जताई है कि कांग्रेस इसे इसी सत्र में पारित कर देगी.
अमरीकी संसद का सत्रावसान 26 सितंबर को हो रहा है और बुश प्रशासन को अमरीकी सांसदों को राज़ी करना होगा कि वे सत्रावसान से पहले ही इस समझौते को मंज़ूरी दे दें.
हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री को 25 सितंबर को व्हाइट हाउस पहुँचने का आमंत्रण दिया है. इसे संकेत के रुप में देखा जा रहा है कि उस दिन तक संसद से समझौते को मंज़ूरी मिल जाएगी और दोनों नेता समझौते पर अंतिम हस्ताक्षर कर सकेंगे.
राष्ट्रपति बुश और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए इससे अच्छा प्रतीक कुछ नहीं हो सकता कि दोनों टेलीविज़न कैमरों के सामने इस समझौते पर हस्ताक्षर करें.
लेकिन इस समय कोई भी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि यह समझौता इसी सत्र में पारित हो जाएगा क्योंकि वहाँ इस समय राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी चल रही है और वक़्त बहुत कम है.
मंज़ूरी की उम्मीद
अमरीकी उपविदेशमंत्री रिचर्ड बाउचर ने कहा है कि भारत-अमरीका असैन्य परमाणु समझौते का जो दस्तावेज़ संसद में पेश किया गया है वह एक मज़बूत दस्तावेज़ है.
उन्होंने कहा, "हमें अंदाज़ा है कि संसद के पास समय काफ़ी कम है और उसके सामने करने को बहुत से काम हैं लेकिन उम्मीद करनी चाहिए कि संसद किसी तरह इसके लिए समय निकालेंगे."
अमूमन ऐसे समझौतों को पारित करने के लिए 30 दिनों का सत्र बुलाए जाने की ज़रूरत होती है. लेकिन 26 सितंबर को सत्रावसान हो रहा है इसलिए ऐसे सत्र की संभावना ही नहीं है.
इसलिए संसद को इससे पहले ही इस समझौते को मंज़ूरी देनी होगी.
'50-50'
मुझे ख़ुशी है कि राष्ट्रपति बुश ने यह समझौता कांग्रेस में पेश कर दिया है और मैं अगले हफ़्ते ही इसे बहस के लिए रखूँगा

जो बाइडन, विदेशी मामलों की समिति के चेयरमैन
इस समझौते को संसद में पेश किए जाने के बाद कई सांसदों का बयान आया है.
सबसे अहम प्रतिक्रिया रही सीनेट के मेजॉरिटी लीडर हैरी रीड ने अपने बयान में कहा है कि वे यह देखेंगे कि क्या इस समझौते को इसी साल पारित किए जाने की कोई गुंजाइश है.
दूसरा अहम बयान आया है सीनेट में विदेशी मामलों की समिति के चेयरमैन जो बाइडन का, जो डेमोक्रैटिक पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी हैं.
उन्होंने कहा, "मुझे ख़ुशी है कि राष्ट्रपति बुश ने यह समझौता कांग्रेस में पेश कर दिया है और मैं अगले हफ़्ते ही इसे बहस के लिए रखूँगा."
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बयान आया है जिम मैक्डर्मक का. वे इस समझौते के हक़ में है और इस पर काफ़ी काम कर चुके हैं.
उनका कहना है कि वे इसके इस साल पारित होने की संभावना फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी यानी 50 प्रतिशत देखते हैं.
उनका तर्क था, "जिस तरह भारत में चुनाव के समय सब कुछ ठप्प हो जाता है इसी तरह यहाँ भी राष्ट्रपति चुनाव होता है."
इस बात की पूरी संभावना है कि इसी सत्र में इसे पारित कर दिया जाए क्योंकि रिपब्लिकन पूरी तरह से इसके साथ हैं और डेमोक्रेट भी भारत के साथ इस समझौते को तोड़ना नहीं चाहेंगे

अनुपम श्रीवास्तव
जिम मैक्डर्मक का कहना था कि इस समझौते को बंदूक की गोली की तरह से पास नहीं कर सकते.
कई और कांग्रेस सदस्य कह रहे हैं कि वे इस समझौते का महत्व समझते हैं.
संभावना
ग़ौरतलब है कि भारत-अमरीका परमाणु समझौते को परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह की मंज़ूरी मिलने के बाद अब सिर्फ़ अमरीकी कांग्रेस से भारत-अमरीका परमाणु समझौते को अंतिम मंज़ूरी मिलनी बाक़ी है.
भारत-अमरीका के बीच हुए 123 समझौते पर अमरीकी संसद को हरी झंडी देनी होगी, उसके बाद ही ये समझौता प्रभावी हो पाएगा.
जॉर्जिया विश्वविद्यालय में एशिया कार्यक्रम के निदेशक अनुपम श्रीवास्तव का मानना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि इसी सत्र में इसे पारित कर दिया जाए क्योंकि रिपब्लिकन पूरी तरह से इसके साथ हैं और डेमोक्रेट भी भारत के साथ इस समझौते को तोड़ना नहीं चाहेंगे.
उनका मानना है कि अगर डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य इसे रोकने की कोशिश भी करेंगे तो उन्हें अपने ही उद्योग जगत के दबाव का सामना करना पड़ेगा.
उद्योग जगत का तर्क होगा कि भारत के लिए परमाणु ईधन का रास्ता साफ़ तो करवाया अमरीका ने पर इसका लाभ रूस और फ्रांस जैसे देशों को मिल रहा है, अमरीका को नहीं.

तस्वीर

ओम शांति ओम

स्मिथ, यूरेनियम दॆ दॊ


11 सितंबर को नई दिल्ली में आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री स्टीफन स्मिथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत करते हुए।

Tuesday, September 9, 2008

आशा ने परिजनों संग मनाया जन्मदिन


September 08,
मुंबई। अपनी गायकी से छह पीढि़यों का दिल बहलाकर नए प्रतिमान स्थापित कर चुकी पुरकशिश आवाज की मल्लिका आशा भोंसले ने जीवन के 75 बसंत पूरे कर लिए हैं। उन्होंने सोमवार को अपना जन्म दिन परिजनों और प्रशंसकों के बीच मनाया।
हर पीढ़ी के दिल की धड़कन रही बहुविध गानों को सुर देने वाली आशा भोंसले की प्लेटिनम जुबली के मौके पर सारेगामा इंडिया लिमिटेड ने प्रीसियस प्लेटिनम नामक नया एलबम जारी किया। जब आशा ने 1948 में गायिकी का सफर शुरू किया था तब फिल्म जगत में शमशाद बेगम, गीता दत्ता और लता मंगेशकर पा‌र्श्व गायिकी के क्षेत्र में काबिज थीं। आशा की आवाज की मधुरता, गाने की अलहदा स्टाइल और उतार चढ़ाव ने पा‌र्श्व गायन में उनका एक अलग मुकाम बना दिया। गाने की स्थिति के साथ आवाज में परिवर्तन करना उनकी एक और खासियत रही है।
आशा ने हिंदी और मराठी सहित भारतीय भाषाओं में 12 हजार से अधिक गाने गाए। उनके एलबमों ने भी लोगों को बहुत लुभाया। उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

फोन पर ही परवान चढ़ा सलेम-मोनिका का इश्क


Sep 08, 09:44 pm
नई दिल्ली। अबू सलेम से आंखें नहीं लड़ीं उसकी। उसने तो फोन पर ही उसे दिल दे दिया। यह खुलासा किया है अबू सलेम की प्रेमिका और पूर्व अभिनेत्री मोनिका बेदी ने।
सलेम से संबंधों और जाली पासपोर्ट मामले में फंसने के कारण कुछ वक्त जेल में बिताने की वजह से मोनिका सार्वजनिक जिंदगी से काफी दूर हो गई थी। लेकिन अभी हाल ही में रियलिटी शो बिग बॉस में उसे लोगों से मुखातिब होने का मौका मिला तो उसने मन की तमाम बातें उड़ेल दीं। उसने मुंबई बम कांड के प्रमुख आरोपी अबू सलेम के साथ बिताई जिंदगी के कई राज फाश किए हैं। मोनिका ने बताया कि उसे फोन पर ही अबू से मुहब्बत हो गई थी। लेकिन जब वह उससे भारत लौटने की जिद करती थी, वह आपा खो देता था। गौरतलब है कि मोनिका को सलेम के साथ पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था।
मोनिका का कहना है कि सलेम कभी कभी आपा खो देते थे। खासकर मेरे भारत लौटने की जिद करने पर। उसे डर था कि भारत में पुलिस मुझसे उसके बारे में पूछताछ करेगी और उस तक पहुंच जाएगी। मोनिका के मुताबिक 1999 में सलेम ने उसे एक स्टेज शो के लिए अर्सलान अली के नाम से फोन किया। हालांकि यह शो कभी हुआ ही नहीं। फोन पर शुरू हुआ बातों का सिलसिला कब प्यार में बदला इसका पता ही नहीं चला। 8 महीने तक फोन पर बात के बाद दोनों की पहली मुलाकात दुबई में हुई।
इससे पहले मोनिका दर्जन भर से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी थीं। सलेम ने अपने ऊपर चल रहे कुछ मुकदमों की बात उसे बताई थी। लेकिन यह नहीं बताया कि पुलिस उसे मुंबई बम कांड या संजय दत्त को एके-47 देने जैसे संगीन मामलों में तलाश कर रही है। मोनिका कहती है कि उसकी असलियत का पता मुझे पहली बार पुर्तगाल की जेल में तब चला जब मेरे वकील ने उस पर लगे आरोपों के कागजात दिखाए।
छह साल साथ रहने के बाद मोनिका, सलेम से कोई वास्ता नहीं रखना चाहती। वह कहती है कि साथ रहने पर पता चला कि हम दोनों अलग-अलग किस्म के इंसान हैं। अब रियलिटी शो से बाहर हो चुकी मोनिका कुछ ऐसा करना चाहती है कि उसके माता-पिता उस पर फख्र कर सकें।

Saturday, September 6, 2008

ज़रदारी चुने गए पाकिस्तान के राष्ट्रपति


पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ़ अली ज़रदारी देश के नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं.

देश की निर्वाचित संस्थाओं के निर्वाचक मंडल के ज़रिए हुए चुनाव में ज़रदारी ने भारी अंतर से जीत हासिल की.

इस चुनाव में चारों प्रांतों की एसेंबलियों, नेशनल एसेंबली और सीनेट के सदस्यों ने मतदान किया था.

परवेज़ मुशर्रफ़ के राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद ये चुनाव आयोजित कराए गए, इस चुनाव में तीन उम्मीदवार मैदान में थे.

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) ने पूर्व न्यायाधीश सईदुज़माँ सिद्दीक़ी को और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) ने मुशाहिद हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया था.

सीनेट और नेशनल एसेंबली में कुल 426 सांसदों ने मतदान किया जिसमें से 281 वोट ज़रदारी को मिले जबकि सिद्दीक़ी को 111 वोट मिले, जबकि मुशाहिद हुसैन को 34.

आसिफ़ अली ज़रदारी के अपने प्रांत सिंध में प्रांतीय एसेंबली के सारे वोट झटक लिए, वहाँ कुल 162 वोट वैध पाए गए और वे सभी ज़रदारी के खाते में गए.

बलूचिस्तान में ज़रदारी को 59 और दोनों अन्य उम्मीदवारों को सिर्फ़ 2-2 वोट मिले.

पंजाब एकमात्र प्रांत है जहाँ ज़रदारी को जीत नहीं मिली, वहाँ ज़रदारी को सिर्फ़ 123 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सईदुज़माँ सिद्दीक़ी को 201.

सूबा सरहद में भी ज़रदारी ने 107 वोट हासिल किए जबकि सिद्दीक़ी को सिर्फ़ दस वोट मिले.

आसिफ़ अली ज़रदारी पिछले वर्ष दिसंबर में पत्नी बेनज़ीर भुट्टो की हत्या के बाद राजनीति में आए.

Wednesday, September 3, 2008

तस्वीरॊ मॆ बाध्

Picture captured By NASA






badh ki bibhishika ko karib se dekhta ek aadmi

'जाएँ तो जाएँ कहाँ?'


बिहार में आई बाढ़ का नज़ारा हमें उस समय दिखा जब हम मधेपुरा पहुँचे. वहाँ से आगे बढ़ते हुए हमारा सामना बाढ़ पीड़ितों से हुआ जो आक्रोश से भरे हुए थे.
शहर की हालत यह की जहाँ तक हमारी नज़र जा रही थी हमें सिर्फ़ पानी ही पानी नज़र आ रहा था. मकान डूबे हुए थे, दुकानें डूबीं हुई थीं और कुछ आदमी भी पानी में डूबे हुए मिले.
मधेपुरा के कुछ गाँवों में सन्नाटा पसरा था, खामोशी छाई थी और पूरे के पूरे गाँव ही खाली थे. वहाँ न इंसान थे, न जानवर.
पानी ही पानी
मधेपुरा से पूर्णिया जाने वाली सड़क पर जो मंजर मैंने देखा उसे शब्दों में बयान कर पाना आसान नहीं है. यह सड़क आगे जाकर दस फुट पानी में डूबी हुई है. आगे कोई रास्ता नहीं है, सिर्फ़ पानी ही पानी.
इस पूरे रास्ते पर मुझे लोग शहर की ओर भागते हुए नज़र आए. कुछ लोग अपने जानवरों को हाँक कर ले जा रहे थे तो कुछ अपने बच्चों को साइकिल पर बैठाए हुए भाग रहे थे. कुछ लोग अपने जीवनभर की बची हुई कमाई को बैलगाड़ी पर लादे हुए भागे जा रहे थे. ऐसे लोगों की संख्या एक-दो या सौ-पचास नहीं बल्कि हज़ारों में थी.
ये लोग भाग तो रहे थे पर उन्हें यह नहीं पता था कि जाना कहाँ है. न खाने का ठिकाना और न सिर पर छत....बाढ़ सब कुछ लील चुकी है.
इस सड़क पर पंद्रह किलोमीटर दूर तक ऐसी कोई जगह नहीं है, जहाँ लोग न हों. सड़क के किनारे पर लोग ऊँचे-ऊँचे मचान बना रहे हैं, जिससे की अगर फिर बाढ़ आए तो कम से कम वे अपनी जान तो बचा सकें. यही नज़ारा मधेपुरा की अन्य सड़कों पर भी दिखा.
ज़िंदगी की खोज
कलेक्ट्रेट के रास्ते पर छोटी-बड़ी नावों से लदे हुए क़रीब दस ट्रक खड़े थे और कलेक्ट्रेट ऑफ़िस में उन लोगों की भीड़ जमा थी जो अपने परिजनों को बचाने की गुहार लगा रहे थे. वह कह रहे थे कि हमारे माँ-बाप मर रहे हैं कोई तो उन्हें बचा ले.
लोगों की आँखों में पानी के ख़ौफ़ को साफ़ देखा जा सकता है. मगर उनके सामने यह सवाल अब भी खड़ा है कि पानी से भागकर जाएँ तो जाएँ कहाँ. मैंने लोगों को घर छोड़ते हुए तो देखा था, लेकिन हज़ारों-हज़ार लोगों को गाँव छोड़ते हुए पहली बार देख रहा था.
दहशत की दहलीज़ पर ज़िंदगी बचाने के लिए जाते हुए लोगों के दर्द से मेरा दिल भी दहल गया. इनके सामने तो बस एक ही सवाल है कि जाएँ तो जाएँ कहाँ.

कोसी का जलस्तर घटा, परेशानी बरक़रार

बिहार में बाढ़ का क़हर बरपा रही कोसी नदी कहीं-कहीं कुछ कम हुआ है लेकिन उसका नए-नए इलाक़ों में प्रवेश जारी है.
जहाँ दो दिनों पहले पानी नहीं था वहाँ अब पानी भर आया है और लोग वहाँ से सुरक्षित स्थानों की तलाश में विस्थापित हो रहे हैं.
प्रशासन का दावा है कि बचाव और राहत कार्य युद्ध स्तर पर शुरु हो चुका है लेकिन बाढ़ पीड़ितों की हालत देखकर लगता है कि यह सहायता अपर्याप्त है.
सबसे बड़ी दिक्कत बचाव और राहत कार्य के समन्वय की है जिसकी कमी से सुविधाओं का ठीक तरह से उपयोग नहीं हो पा रहा है.
पिछले 16 दिनों में बाढ़ के तांडव में मरने वालों की संख्या अभी भी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ सौ से कम है लेकिन सहायता एजेंसियों और संवाददाताओं का कहना है कि यह संख्या कई गुना अधिक हो सकती है.
18 अगस्त को कोसी नदी के तटबंध टूटने से आई इस बाढ़ से बिहार के 16 ज़िले प्रभावित हैं लेकिन कोसी इलाक़े के चार ज़िलों सुपौल, सहरसा, अररिया और मधेपुरा में इसकी स्थिति ख़ासी गंभीर है.
बाढ़ पीड़ित 33 लाख लोगों में से 22 लाख तो कोसी इलाक़ों के चार ज़िलों से ही हैं.
राहत और बचाव कार्य
अधिकारियों का कहना है कि सेना की 20 टुकड़ियाँ राहत और बचाव कार्य में लगी हैं और बुधवार को पाँच और टुकड़ियाँ इस कार्य में लग जाएँगीं.
11 हेलिकॉप्टरों से बाढ़ में फँसे लोगों तक खाद्यसामग्री गिराई जा रही है लेकिन यह इतनी अपर्याप्त है कि कई इलाक़ों में लोग कई दिनों से भूखे सहायता का इंतज़ार कर रहे हैं.
जब कोई सहायता वहाँ पहुँचती है तब पता चल पाता है कि वे कब से राहत का इंतज़ार कर रहे थे.
अधिकारियों के अनुसार 1300 नौकाओं के माध्यम से बाढ़ प्रभावितों को बचाने और राहत शिविरों तक पहुँचाने के अभियान में जुटी हुई हैं. लेकिन एक नौका से कोई 20-25 लोगों को बचाया जा सकता है और लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक है.
लेकिन सरकारी दावे से अलग प्रभावित इलाक़ों से ख़बरें आ रही हैं कि लाखों बाढ़ पीड़ित अब भी राहत का इंतज़ार कर रहे हैं और राहत कार्य में व्यवस्था की बेहद कमी है.
बहुत से इलाक़ों में स्थानीय लोग राहत कार्यों में लगे हुए हैं
कई जगहों पर सरकारी मदद अभी भी नहीं पहुँची है और स्थानीय लोग अपने स्तर पर ही बाढ़ पीड़ितों की सहायता कर रहे हैं.
लेकिन बाढ़ पीड़ितों की संख्या बढ़ने के साथ अब लागों को समझ में नहीं आ रहा है कि सरकारी मदद के बिना यह कितने दिनों तक संभव हो सकेगा.
इस बीच बिहार में बाढ़ राहत के कार्य में जुटी संस्थाओं में से एक – ऐक्शन एड – का कहना है कि बाढ़ में मारे गए लोगों की संख्या 2000 के आस-पास हो सकती है.
वहाँ काम कर रहे लोगों का कहना है कि जहाँ तहाँ पानी में बहती लाशें दिख रही हैं.
ज्यादातर जानवरों की लाशें फूलकर उतरा रही हैं और अक्सर किसी इंसान की लाश भी दिख जाती है.
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि 15 लाख से अधिक मवेशी इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और उनके खाने के लिए चारे की कोई व्यवस्था अब तक नहीं की जा सकी है, यानी जानवर पिछले 16 दिन से भूखे हैं.
फँसे लोग
प्रशासन का कहना है कि सुपौल, सहरसा, अररिया और मधेपुरा ज़िलों के कई स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग अभी भी बाढ़ के बीच फँसे हुए हैं.
प्रशासन के अनुसार छापातुर, त्रिवेणीगंज, प्रतापगंज, वीरपुर कुमारखंड, चौसा, आलमनगर, ग्वालपाड़ा, सौर बाज़ार, बिहारीगंज, उदाकिशनगंज और सोनवर्षा में फँसे हुए लोगों की संख्या बहुत अधिक है.
नौसेना की तीन टुकड़ियों को बनमनरवी और नरपतगंज इलाक़ों में लोगों को निकालने के लिए लगाया गया है.
प्रशासन और सेना के बीच तालमेल की कमी दिख रही है क्योंकि कई जगह सेना के जवान इसलिए खाली बैठे हुए दिखे क्योंकि उन्हें प्रशासन की ओर से समय पर निर्देश नहीं मिल पा रहे हैं.
और सहायता की माँग
मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर के नेतृत्व में एक टीम ने बाढ़ग्रस्त इलाक़ों का दौरा किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की.
नीतीश कुमार ने केंद्र के सामने ज़रुरतों की नई सूची रखी है
इस दल में रक्षासचिव विजय सिंह, सीमासुरक्षा मामलों के गृहसचिव जनरैल सिंह, जलसंसाधन विकास मंत्री यूएन पाँजियार, आपदा प्रबंधन अधिकरण के सचिव एचएस ब्रह्मा आदि थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दल को बताया कि राज्य सरकार ने विकास आयुक्त के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है जो लोगों को बचाने और राहत पहुँचाने के कार्य को संभाल रही है.
केंद्रीय टीम ने राज्य सरकार से इस बात पर चर्चा की है कि राष्ट्रीय आपदा से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से और क्या मदद की जा सकती है.
नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बाढ़ पीड़ितों के लिए और सहायता की अपील की है और साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार अनाज के भंडारों से जल्द से जल्द अनाज दे जिससे कि उसे अविलंब बाढ़ पीड़ितों तक पहुँचाया जा सके.
मुख्यमंत्री ने 50 एंबुलेंस और पर्याप्त जीवन रक्षक दवाइयों की मांग की है.
केंद्रीय टीम ने राज्य की माँगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है.

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