Thursday, December 11, 2008

'आतंक का तूफ़ान, कठोर कदमों का इंतज़ार करें'



'आतंक का तूफ़ान, कठोर कदमों का इंतज़ार करें'

चिदंबरम ने कहा कि हमलावर पाकिस्तानी थे और वे कराची के तट से आए थे
भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम के अनुसार दक्षिण एशिया में 'आतंकवाद का तूफ़ान' चल रहा है और आने वाले दिनों में कुछ कठोर कदमों की घोषणा होगी.
उधर विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा,

"दुनिया और भारत के दुश्मनों को समझ लेना चाहिए कि ये युद्ध की स्थिति है और इस स्थिति में भारत के सत्तापक्ष और विपक्ष मतभेदों के बावजूद एक हैं."

दिल्ली में संसद सत्र के दौरान प्रश्नकाल को छोड़ लोकसभा के स्पीकर ने 'आतंकवाद' के मुद्दे पर गुरुवार को विशेष बहस रखी है जिसके दौरान पहले गृह मंत्री पी चिदंबरम और फिर विपक्ष के नेता लालकृष्म आडवाणी ने भाषण दिया.
केंद्रीय जाँच एजेंसी बनाने के साथ-साथ, उन्हें आधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाएँगे, भारत रिज़र्व बटालियन बनाई जाएँगी और काला धन बाहर से यहाँ न आ पाए इसके लिए क़ानून में संशोधन किया जाएगा. इस स्थिति का सामना करने के लिए अगले कुछ दिनों में कड़े कदमों के लिए तैयार रहें
पी चिदंबरम ने साफ़ किया, "हमलावर दस पाकिस्तानी नागरिक थे जो 23 नवंबर को कराची से चले थे. इन हमलों में 164 आम नगरिक और नौ हमलावर मारे गए और 307 घायल हो गए. अब इसमें कोई शक़ नहीं कि हमलावर पाकिस्तान से आए थे."
उन्होंने ख़ुफ़िया जानकारी का ज़िक्र भी किया और कहा कि तटरक्षकों और नौसेना को जानकारी मिली थी लेकिन उसमें कुछ तथ्य सही नहीं थे.
उनका कहना था कि नौसेना-तटरक्षकों ने कम से कम तीन दिन तक खोजबीन की और हेलिकॉप्टरों की मदद भी ली गई लेकिन वे खोजबीन में कामयाब नहीं हो पाए."
दुनिया और भारत के दुश्मनों को समझ लेना चाहिए कि ये युद्ध की स्थिति है और इस स्थिति में भारत के सत्तापक्ष और विपक्ष मतभेदों के बावजूद एक हैं
"आडवाणी"
चिदंबरम ने कहा, "केंद्रीय जाँच एजेंसी बनाने के साथ-साथ, उन्हें आधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाएँगे, भारत रिज़र्व बटालियन बनाई जाएँगी और काला धन बाहर से यहाँ न आ पाए इसके लिए क़ानून में संशोधन किया जाएगा. इस स्थिति का सामना करने के लिए अगले कुछ दिनों में कड़े कदमों के लिए तैयार रहें."
उनका कहना था कि कोई भी धर्म, जाती इत्यादी भारतीयों को विभाजित न करे और सभी एकजुट हो .

Friday, November 14, 2008

पोंटिंग की कप्तानी पर संसद में प्रस्ताव


पिछले सीरिज़ में भारत के हाथों ऑस्ट्रलियाई टीम को 2-0 से हार का सामना करना पड़ा था.
हाल ही में भारत में खेले गए टेस्ट मैचों की सिरीज़ में ऑस्ट्रेलियाई टीम की हार के बाद रिकी पोंटिंग की कप्तानी का सवाल संसद में पहुँच गया है.
भारत में पिछले सप्ताह समाप्त हुए चार टेस्ट मैचों की सिरीज़ में ऑस्ट्रेलिया की टीम को 2-0 से हार का सामना करना पड़ा था.
ऑस्ट्रेलिया की खेल मंत्री मिशेल ओबरायन ने गुरुवार को पोंटिंग की कप्तानी पर उठ रहे सवालों पर तस्मानिया की संसद में प्रस्ताव रखा है.
हालाँकि वो रिकी पोंटिंग के समर्थन में बोलती रहीं है और उनका संबंध भी उसी शहर से है जिस शहर के पोंटिंग हैं.
अच्छे खिलाड़ी और कप्तान
मैंने संसद से कहा है कि वो आगे देखे और बिना किसी किसी परेशानी के पोंटिंग को आने वाले दिनों में भी टेस्ट और वनडे दोनों टीमों का कप्तान बनाए रखे

खेल मंत्री मिशेल ओबरायन
खेल मंत्री के मुताबिक़ उन्होंने संसद से कहा है कि वो रिकी पोंटिंग को न सिर्फ़ एक एक अच्छे खिलाड़ी के तौर पर बल्कि एक अच्छे टेस्ट कप्तान के तौर पर उनके बढ़िया रिकार्ड की मान्यता दें.
ऑस्ट्रेलियाई समाचार एजेंसी एएपी के अनुसार खेल मंत्री ने कहा, "मैंने संसद से कहा है कि वो आगे देखे और बिना किसी परेशानी के पोंटिंग को आने वाले दिनों में भी टेस्ट और वनडे दोनों टीमों का कप्तान बनाए रखें."
भारत से हार के बाद ऑस्ट्रेलिया में पोंटिंग की कड़ी ओलोचना हो रही है और इससे खेल मंत्री बहुत आहत थीं.
मिशेल ओबरायन का कहना है, "पोंटिंग एक अतुलनीय कप्तान रहे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि उनके नेतृत्व क्षमता पर हो रहे हमले बहुत निजी है."
ओबरायन के अनुसार पोंटिंग की नेतृत्व क्षमता में कोई कमी नहीं है. उन्होंने कुछ फ़ैसले किए हैं जो कुछ लोगों को पसंद नहीं है.
ग़ौरतलब है कि इससे पहले पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने कहा कि टीम की कप्तानी करना कोई आसान काम नहीं है और लोगों को भारत के ख़िलाफ सिरीज़ में मिली हार के लिये रिकी पोंटिंग की आलोचना बंद कर देनी चाहिए.
जानकारों की राय में भारत से मिली हार को ऑस्ट्रेलियाई पचा नहीं पा रहे हैं लेकिन कप्तान रिकी पोंटिंग का कहना है कि अभी भी उनकी टीम दुनिया में नंबर एक टीम है.

राजकोट में इंग्लैंड बुरी तरह हारा



राजकोट में खेले गए वनडे मैच में भारत ने इंग्लैंड को 158 रनों के बड़े अंतर से मात दे दी है. भारत के 387 रनों के जवाब में इंग्लैंड 229 रन ही बना सका.
युवराज सिंह और वीरेंदर सहवाग की धमाकेदार पारी की बदौलत भारत ने निर्धारित 50 ओवर में पाँच विकेट पर 387 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया.
भारत की ओर से युवराज सिंह ने शानदार शतक लगाया और 138 रन बनाकर नाबाद रहे. उन्होंने 138 रन सिर्फ़ 78 गेंद पर 16 चौके और छह छक्के की मदद से बनाए.
वीरेंदर सहवाग ने भी अपने अंदाज़ में बल्लेबाज़ी की और सिर्फ़ 73 गेंद पर 85 रन बना डाले.
राजकोट वनडे में भारत की विजय
जवाब में इंग्लैंड ने काफ़ी ख़राब शुरुआत की और एक समय सिर्फ़ 76 रन पर पाँच विकेट गँवा दिए. ज़हीर ख़ान ने शानदार गेंदबाज़ी की और इंग्लैंड के टॉप आर्डर को पवेलियन भेज दिया.
कप्तान पीटरसन ने 63 रनों की पारी खेली
मैट प्रायर चार, ओवैस शाह शून्य और एंड्रयू फ़्लिंटफ़ चार रन बनाकर पवेलियन लौट गए. इयन बेल ने 25 और पॉल कॉलिंगवुड ने 19 रनों का योगदान दिया.
इसके बाद कप्तान केविन पीटरसन और समित पटेल ने छठे विकेट के लिए 71 रनों की साझेदारी की. अच्छा खेल रहे समित पटेल 28 रन बनाकर हरभजन सिंह की गेंद पर आउट हो गए.
इंग्लैंड को बड़ा झटका उस समय लगा जब कप्तान पीटरसन 63 रन बनाकर रन आउट हो गए. स्टुअर्ट ब्रॉड ने 26 रनों की पारी खेली. रवि बोपारा 54 रन बनाकर नाबाद रहे.
ज़हीर ख़ान ने सबसे ज़्यादा तीन विकेट लिए. मुनाफ़ पटेल, हरभजन सिंह, वीरेंदर सहवाग, आरपी सिंह और यूसुफ़ पठान को एक-एक विकेट मिले.
भारतीय पारी
राजकोट वनडे में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला किया. लेकिन भारत ने शानदार शुरुआत कर उनके फ़ैसले को ग़लत साबित कर दिया.
युवराज ने नाबाद 138 रन बनाए
सहवाग और गंभीर ने बेहतरीन शुरुआत की. दोनों ने अर्धशतक भी पूरा किया. लेकिन गंभीर 51 रन बनाकर आउट हो गए. पहले विकेट के लिए दोनों ने सिर्फ़ 19.5 ओवर में 127 रन जोड़े.
सुरेश रैना और सहवाग भारत का स्कोर 153 रन तक ले गए. सहवाग बेहतरीन फ़ॉर्म में थे. लेकिन एक बार फिर वे अपने स्कोर को शतक में नहीं बदल सके और 85 रन पर आउट हो गए.
इसके बाद पिच पर पहुँचा भारतीय टीम का युवराज. युवराज सिंह ने अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से सबका मन मोह लिया. पीठ दर्द से परेशान युवराज कमर पर बेल्ट बाँध पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे.
बाद में उन्हें रनर की सुविधा भी दी गई. लेकिन इन सबके बीच उनकी बल्लेबाज़ी की धार कम नहीं हुई. उन्होंने सिर्फ़ 63 गेंद पर अपना शतक पूरा किया. इस बीच सुरेश रैना 43 और यूसुफ़ पठान बिना खाता खोले पवेलियन लौट चुके थे.
कप्तान धोनी पिच पर आए और आतिशी पारी खेली. धोनी ने 32 गेंद पर 39 रन बनाकर युवराज के साथ तेज़ी से रन बटोरे. भारत ने 50 ओवर में पाँच विकेट पर 387 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया.

Tuesday, November 11, 2008

क्रिकेट से सौरभ गांगुली की विदाई



नागपुर टेस्ट में मिली जीत के साथ ही भारत के सबसे सफल कप्तान रहे सौरव गांगुली की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई हो गई.
उन्हें क्रिकेट की दुनिया में दादा के नाम से जाना जाता है. गांगुली ने अपने टेस्ट करियर की पहली पारी में शतक जमाया था और लेकिन अपने करियर की अंतिम पारी में वो खाता नहीं खोल पाए.
बावजूद इसके गांगुली ने अपनी आख़िरी पारी में एक रिकार्ड बना दिया.
सौरभ गांगुली टेस्ट क्रिकेट में पहली पारी में शतक और अपनी आख़िरी पारी में शून्य बनाने वाले इंग्लैंड के बिली ग्रिफ़िथ के बाद दूसरे क्रिकेटर बन गए हैं.
गांगुली आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ चौथे और अंतिम टेस्ट के चौथे दिन रविवार को जब बल्लेबाज़ी करने उतरे तो स्टेडियम में दर्शकों और मैदान में मौजूद आस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों ने उनका स्वागत किया.
लेकिन गांगुली सिर्फ़ एक गेंद ही विकेट पर टिक सके और ऑफ स्पिनर जैसन क्रेजा की गेंद पर उन्हें कैच दे बैठे. उन्होंने पहली पारी में शानदार 85 रन बनाए थे.
गांगुली ने अपने करियर की समाप्ति 113 टेस्ट मैचों में 7212 रन के साथ की जिनमें 16 शतक शामिल हैं.
भारत के सबसे सफल कप्तान गांगुली ने 49 टेस्टों में भारत का नेतृत्व किया और 21 मैच जीते.
संन्यास के समय गांगुली ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था," भारतीय टीम का नेतृत्व करना आसान नहीं है, ख़ासकर जब आपको सलाह देने के लिए सौ करोड़ लोग मौजूद हों."
उनका कहना था, "जब तक आप जीत रहे हों तब तक तो ठीक है लेकिन अगर आप हार गए तो प्रतिक्रिया थोड़ी तेज़ हो सकती है."
दादा का जलवा
भारतीय टीम को 2003 के क्रिकेट के विश्व कप फ़ाइनल तक पहुँचाने का श्रेय भी सौरव की गांगुली को ही जाता है.
भारतीय टीम का नेतृत्व करना आसान नहीं है, ख़ासकर जब आपको सलाह देने के लिए सौ करोड़ लोग मौजूद हों

सौरभ गांगुली
और वह सौरव गांगुली की कप्तानी के ही दिन थे जब भारतीय क्रिकेट में पैसे की बरसात होनी शुरु हुई.
भारत में सौरव गांगुली को लेकर बहुत विवाद भी होते रहे हैं, ख़ासकर उनके टीम में रहने न रहने को लेकर.
भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलियाई कोच ग्रेग चैपल के साथ अनबन होने से पहले सौरव ने पाँच साल तक भारतीय टीम की कप्तानी संभाली. फिर वो टीम से बाहर हो गए.
तब एक ऐसा समय था जब लोग मानने लगे थे कि सौरव का क्रिकेट जीवन ख़त्म हो गया लेकिन उन्होंने समीक्षकों को ग़लत साबित किया और एक बार फिर से भारतीय टीम में जगह बनाई.
लेकिन कप्तानी से हटने के बाद उनका वह रुतबा नहीं रह गया जिसके लिए वो जाने जाते थे.
चाहे आप उन्हें पसंद करें या न करें लेकिन एक बात तय रही है कि आप उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते.
सौरव ख़ुद मानते हैं कि वे संन्यास के फ़ैसले से राहत महसूस कर रहे हैं.
भारत के सबसे सफल कप्तान रहे सौरव गांगुली कहते हैं कि वे अब आराम की नींद सोना चाहते हैं.
लेकिन दादा जो रिकॉर्ड छोड़कर जा रहे हैं, वो उनकी सफलता की कहानी ख़ुद बयान करते हैं.

Saturday, November 8, 2008

बीआर चोपड़ा का निधन

बीआर चोपड़ा ने भारतीय फ़िल्म जगत और छोटे पर्दें को बहुत कुछ दिया
भारतीय फ़िल्म जगत के मशहूर निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा का लंबी बीमारी के बाद बुधवार सुबह मुंबई में निधन हो गया.
वह 94 साल के थे. उनके परिवार में एक बेटा और दो बेटियाँ हैं.
‘धूल का फूल’, ‘वक़्त’, ‘नया दौर’, ‘क़ानून’, ‘हमराज’, ‘इंसाफ़ का तराज़ू’ और ‘निकाह’ जैसी कई सफल फ़िल्में बलदेवराज चोपड़ा की देन हैं.
पर बड़े पर्दे पर ही नहीं, बीआर चोपड़ा ने छोटे पर्दे को भी जो दिया, वो उनके बाद शायद कोई न दे सके.
महाभारत की कथा पर महाभारत नाम से ही एक ऐसा धारावाहिक बीआर चोपड़ा ने बनाया जिसकी प्रसिद्धि का पैमाना आज भी धारावाहिक जगत में मानक के तौर पर देखा जाता है.
मशहूर निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा उनके छोटे भाई हैं.
महान फ़िल्मकार
नया दौर जैसी फ़िल्म बीआर चोपड़ा की देन है
बीआर चोपड़ा के नाम से मशहूर बलदेव राज चोपड़ा का जन्म 22 अप्रैल 1914 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था.
उन्होंने लाहौर विश्विवद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एमए किया था. उन्होंने अपना करियर फ़िल्म पत्रकार के रूप में शुरू किया था.
वर्ष 1955 में बीआर चोपड़ा ने अपने फ़िल्म निर्माण कंपनी बीआर फ़िल्म्स बनाई. इस बैनर की ओर से उन्होंने ‘नया दौर’ बनाई.
बीआर चोपड़ा ने विधवा पुनर्विवाह और वेश्यावृत्ति जैसी सामाजिक समस्या को अपनी फ़िल्मों का विषय बनाया. उनकी ज़्यादातर फ़िल्में किसी न किसी सामाजिक मुद्दे पर आधारित थी.
फ़िल्म जगत में दिए गए उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें फ़िल्मों का सबसे बड़े सम्मन ‘दादा साहब फाल्के’ से सम्मानित किया.

पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न



सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी को सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित करने का फ़ैसला किया है.
मंगलवार को राष्ट्रपति भवन की ओर से इस आशय की घोषणा की गई.
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है,'' राष्ट्रपति को पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा करते हुए हर्ष हो रहा है.''
86 वर्षीय भीमसेन जोशी किराना घराने के महत्वपूर्ण गायक हैं.
उन्होंने 19 साल की उम्र से गाना शुरू किया था और वो पिछले सात दशकों से शास्त्रीय गायन कर रहे हैं.
इस स्वर-साधक ने अपने तप से भारतीय शास्त्रीय संगीत को अनूठी ऊँचाइयाँ दी हैं.
शास्त्रीय संगीत के पंडितों का कहना है कि गायन का जो अंदाज़ भीमसेन जोशी के पास है वो समकालीन भारतीय संगीत में बहुत कम ही लोगों के मिला है.
वर्ष 1922 में जन्मे पंडित जोशी किराना घराने से संबंध रखते हैं.
उन्हें मुख्य रूप से उनके खयाल शैली और भजन के लिए जाना जाता है.
पंडित जोशी का जन्म कर्नाटक के गडक ज़िले के एक छोटे से शहर में हुआ था. उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे.
पंडित जोशी को वर्ष 1999 में पद्मविभूषण, 1985 में पद्मभूषण और 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

गांगुली खेल रहे हैं अपना अंतिम टेस्ट






सबसे सफल कप्तान के क्रिकेट जीवन में भी कई उतार चढ़ाव आए
भारत से सबसे सफल कप्तान रहे सौरव गांगुली नागपुर में अपने जीवन का अंतिम टेस्ट मैच खेल रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया के साथ खेले जा रहे इस टेस्ट मैच के बाद उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है.
सौरव गांगुली कुल 49 मैचों में भारत के कप्तान रहे और इनमें से 21 में भारत को जीत हासिल हुई.
और वह सौरव गांगुली की कप्तानी के ही दिन थे जब भारतीय क्रिकेट में पैसे की बरसात होनी शुरु हुई.
भारत में सौरव गांगुली को लेकर बहुत विवाद भी होते रहे हैं, ख़ासकर उनके टीम में रहने न रहने को लेकर.
चाहे आप उन्हें पसंद करें या न करें लेकिन एक बात तय रही है कि आप उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते.
भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलियाई कोच ग्रेग चैपल के साथ अनबन होने से पहले सौरव ने पाँच साल तक भारतीय टीम की कप्तानी संभाली.
तब एक ऐसा समय था जब लोग मानने लगे थे कि सौरव का क्रिकेट जीवन ख़त्म हो गया लेकिन उन्होंने समीक्षकों को ग़लत साबित किया और एक बार फिर से भारतीय टीम में जगह बनाई.
नेतृत्व
भारत में क्रिकेट एक धर्म की तरह ही है.
गांगुली कहते हैं, "भारतीय टीम का नेतृत्व करना आसान नहीं है, ख़ासकर जब आपको सलाह देने के लिए सौ करोड़ लोग मौजूद हों."
वे कहते हैं, "जब तक आप जीत रहे हों तब तक तो ठीक है लेकिन अगर आप हार गए तो प्रतिक्रिया थोड़ी तेज़ हो सकती है."
इस अनुभव के बारे में वे कहते हैं, "जब आप नहीं जीतते हैं तो सोते-जागते आपको इसकी याद दिलाई जाती है...लेकिन एक समय बाद आप इसके आदी हो जाते हैं...और यह सभी कप्तानों के लिए एक जैसा है, कभी आप आसमान में होते हैं और कभी ज़मीन पर पटक दिए जाते हैं."
गांगुली के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने भारत में हो रहे विकास की झलक दिखलाई.
भारत जब आर्थिक रुप से मज़बूत होकर उभर रहा था और विश्वपटल पर उसका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ दिखता था, तब भारतीय क्रिकेट टीम भी उसके साथ कमदताल कर रही थी.
गांगुली का नेतृत्व आक्रामक था और उनके नेतृत्व में खेलते हुए खिलाड़ियों ने लाखों-करोड़ों रुपए कमाए क्योंकि भारत क्रिकेट का आर्थिक केंद्र बन रहा था.
लेकिन सौरव के गृहनगर कोलकाता में दादा, यानी की बड़ा भाई, अपना पैड उतारने जा रहा है.
सौरव ख़ुद मानते हैं कि वे संन्यास के फ़ैसले से राहत महसूस कर रहे हैं.
भारत के सबसे सफल कप्तान रहे सौरव गांगुली कहते हैं कि वे अब आराम की नींद सोना चाहते हैं.
AVINASH JHA

Saturday, October 25, 2008

गिली पर गरम क्रिकेट बिरादरी

सचिन तेंदुलकर पर पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एडम गिलक्रिस्ट की टिप्पणी को लेकर मामला गरम हो गया है.
एक ओर जहाँ भारत की क्रिकेट बिरादरी सचिन के समर्थन में खुल कर आ गई है, वहीं ख़बर है कि गिलक्रिस्ट ने ख़ुद सचिन को फ़ोन करके मामले पर अपना पक्ष रखा है.
दरअसल गिलक्रिस्ट की आने वाली आत्मकथा ट्रू कलर्स में इस साल के शुरू में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच विवादित सिडनी टेस्ट का जिक्र है और उसमें सचिन तेंदुलकर की भूमिका पर सवाल उठाया गया है.
गिलक्रिस्ट की आत्मकथा अगले सप्ताह बाज़ार में आने वाली है. सचिन तेंदुलकर की भूमिका पर सवाल उठाए जाने पर भारतीय क्रिकेट बिरादरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कई लोगों ने इसे किताब बेचने की सस्ती कोशिश बताया है.
दूसरी ओर एक भारतीय समाचार चैनल के साथ बातचीत में सचिन ने कहा कि गिलक्रिस्ट ने उन्हें फ़ोन किया और अपना पक्ष रखने की कोशिश की.
सचिन के मुताबिक़ गिलक्रिस्ट ने उन्हें बताया कि उनकी बातों को अलग तरह से पेश किया गया है. इससे आगे सचिन ने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में किताब लिखने के लिए काफ़ी पैसे मिलते हैं. इसलिए उसे बेचने के लिए ऐसी सनसनीख़ेज़ बातें लिखनी होती है. ये बाज़ार वाली रणनीति है

दिलीप वेंगसरकर
गिलक्रिस्ट की आने वाली आत्मकथा के अंश कई जगह प्रकाशित हुए हैं. गिलक्रिस्ट ने इस किताब में यह भी कहा है कि हारने के बाद सचिन हाथ मिलाने से भी कतराते हैं.
साथ ही उन्होंने इस साल के शुरू में विवादित सिडनी टेस्ट के दौरान उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं.
गिलक्रिस्ट की आत्मकथा के प्रकाशित कुछ अंशों में भज्जी-साइमंड्स विवाद का भी जिक्र है. गिलक्रिस्ट ने इसमें लिखा है कि सचिन तेंदुलकर ने पहली सुनवाई के दौरान ये कहा कि उन्होंने यह नहीं सुना था कि भज्जी ने साइमंड्स को क्या कहा लेकिन दूसरी बार वे इससे पलट गए.
दूसरी बार सचिन तेंदुलकर ने यह कहा कि उन्होंने भज्जी को हिंदी में कुछ कहा था जो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को 'मंकी' जैसा लगा. सिडनी टेस्ट के दौरान विवाद इतना बढ़ गया था कि एक बार लगा कि भारतीय टीम अपना दौरा रद्द कर देगी.
नाराज़गी
गिलक्रिस्ट की आत्मकथा के इस अंश से भारतीय क्रिकेट जगत में काफ़ी नाराज़गी है. पूर्व प्रमुख चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने इसे अपनी किताब बेचने की कोशिश बताया है.
भज्जी की सुनवाई के दौरान सचिन भी मौजूद थे
एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि गिलक्रिस्ट ने ऐसी बात कही है. उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में किताब लिखने के लिए काफ़ी पैसे मिलते हैं. इसलिए उसे बेचने के लिए ऐसी सनसनीख़ेज़ बातें लिखनी होती है. ये बाज़ार वाली रणनीति है."
दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गिलक्रिस्ट की टिप्पणी को आपत्ति जताई है. बीसीसीआई की मीडिया कमेटी के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने कहा, "सचिन तेंदुलकर के बारे में ऐसी टिप्पणी करते समय गिलक्रिस्ट को दो बार सोचना चाहिए था. सचिन न सिर्फ़ महान खिलाड़ी हैं बल्कि क्रिकेट की दुनिया में उनका बहुत सम्मान भी है."
उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद किसी व्यक्ति के प्रति सम्मान अगर कम होगा, तो वो होंगे एडम गिलक्रिस्ट. इस मामले में भारतीय खिलाड़ियों का पक्ष रखने वाले वकील वीआर मनोहर ने भी सचिन तेंदुलकर का बचाव किया है.
वीआर मनोहर मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर के पिता है. वीआर मनोहर ने कहा कि उस घटनाक्रम में मैथ्यू हेडन और माइकल क्लार्क इतनी दूर थे कि उन्होंने कुछ नहीं सुना होगा लेकिन वे एक ग़लत आरोप का समर्थन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सारे मामले में सचिन तेंदुलकर हरभजन सिंह के सबसे क़रीब खड़े थे.
बोर्ड के पूर्व सचिव निरंजन शाह ने भी गिलक्रिस्ट की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि गिलक्रिस्ट अपनी किताब से सनसनी फैलाना चाहते हैं.
भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे में टीम के मीडिया मैनेजर रहे एमवी श्रीधर ने भी गिलक्रिस्ट को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि किताब बेचने के लिए ऐसा किया जा रहा है.

तस्वीरों में- फ़िल्म कर्ज़ की


तस्वीरों में- फ़िल्म कर्ज़ की तस्वीरें




साध्वी सहित तीन पुलिस हिरासत में

साध्वी सहित तीन
साध्वी सहित तीन पुलिस हिरासत में

मालेगांव में हुए विस्फोट में पाँच लोगों की मौत हो गई थी
मालेगाँव में पिछले महीने हुए बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ़्तार की गईं एक साध्वी समेत तीन लोगों को नासिक की अदालत ने पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
महाराष्ट्र पुलिस ने एक साध्वी सहित तीन लोगों को हिरासत में लिया जिनके बारे में पुलिस का कहना है कि इनका ताल्लुक मालेगांव में हुए बम विस्फोट से हो सकता है.
गिरफ़्तार किए गए लोगों पर हत्या और सदभाव बिगाड़ने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के अलावा श्यामलाल साहू और शिवनारायण सिंह को शुक्रवार को नासिक की अदालत में पेश किया जहाँ इन्हें तीन नवंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
मध्यप्रदेश के इंदौर में बस चुकी इस साध्वी की गिरफ़्तारी मुंबई पुलिस की आतंकवाद निरोधक शाखा ने गुजरात के सूरत शहर से की.
श्यामलाल साहू और शिवनारायण सिंह इंदौर से गिरफ़्तार किए गए हैं. ये गिरफ़्तारियाँ पिछले कुछ दिनों के दौरान हुई हैं.
मुंबई पुलिस की आतंकवाद निरोधक शाखा के प्रमुख हेमंत कड़करे ने बताया कि जिस मोटरसाइकिल का मालेगाँव में धमाके के लिए इस्तेमाल किया गया था वो साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर है. उन्होंने यह भी बताया कि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन फ़र्ज़ी है और इसकी चेचिस, इंजन से नंबर मिटाने की कोशिश भी की गई है.
शक की सुई
बताया जा रहा है कि हिरासत में ली गईं साध्वी का कथित रूप से कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों से ताल्लुक है. इनमें हिंदु जागरण मंच नाम के एक हिंदुत्ववादी संगठन का भी नाम लिया जा रहा है.
मालेगांव में पहले भी एक मस्जिद में धमाका हुआ था
हालांकि देश के कई प्रमुख हिंदुत्ववादी संगठनों ने हिरासत में लिए गए इन लोगों को संगठन से जुड़ा मानने से इनकार किया है.
विद्यार्थी परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस मामले के सामने आने के बाद यह तो स्वीकार किया है कि साध्वी प्रज्ञा का ताल्लुक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से था पर उन्होंने यह भी कहा कि अब संगठन से उनका कोई वास्ता नहीं है.
गौरतलब है कि 29 सितंबर को महाराष्ट्र के मालेगाँव में हुए धमाकों पाँच लोगों की मौत हो गई थी.
पुलिस ने प्रारंभिक जाँच के बाद पाया था कि इन धमाकों में आरडीएक्स जैसे विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था.
पुलिस ने इस मामले में मौके से बरामद मोटरसाइकिल और कुछ अन्य जानकारियों के आधार पर इन लोगों का पता लगाया है और इन्हें हिरासत में लिया है.
इसी दिन गुजरात के साबरकांठा ज़िले के मोडासा कस्बे में भी बम धमाका हुआ था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. पुलिस हिरासत में

Tuesday, October 7, 2008

बिहार लाईव: गांगुली जरूर लगाएंगे शतक: शाहरूख

बिहार लाईव: गांगुली जरूर लगाएंगे शतक: शाहरूख

गांगुली जरूर लगाएंगे शतक: शाहरूख

ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ खेले जाने वाले टेस्‍ट व एकदिवसीय मैचों के लिए भारतीय टीम में चुने गए पूर्व भारतीय कप्‍तान सौरव गांगुली को उनके चयन के लिए बधाई देने पहुंचे फिल्‍म अभिनेता शाहरूख खान ने विश्‍वास जताया कि वे पहले ही टेस्‍ट मैच में शतक लगाएंगे. गांगुली से भेंट करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में शाहरूख ने कहा कि भारतीय टीम में उनके चयन से मुझे बेहद खुशी हुई है. मैं कामना करता हूं कि वे पहले ही टेस्‍ट में शतक लगाएं. उन्‍होंने कहा कि कोलकाता नाइट राइडर्स का कोई भी खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शत करता है तो हमें खुशी होती है. गौरतलब है कि शाहरूख इंडियन प्रीतियर लीग की कोलकाता नाइट राइर्डस टीम के मालिक हैं.

छॊर दी सारी दूनिया बस तुम्हारॆ लियॆ.........


टीवी चैनल पर मैं भी

सौरभ गांगुली के प्रेस कॉन्फ़्रेंस को देख रहा था.
कमर्शियल ब्रेक हुआ और इस बीच दिल्ली से मेरे सहयोगी सुशील झा ने मुझे बताया कि दादा ने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी है. Good By Shehjadaa
सहसा यक़ीन नहीं हुआ. तभी एकाएक अख़बारों के इंटरनेट संस्करण और टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग ख़बरें आने लगीं. गांगुली ने रिटायर होने की घोषणा कर दी.
टीवी चैनल पर नज़रें टिकाए मैं गांगुली के बयान के उस हिस्से को देखने के लिए उतावला हो रहा था. साथ ही मन दुखी भी हो गया.
कुछ देर में टीवी चैनल पर एक ऐसे खिलाड़ी को क्रिकेट को अलविदा कहते देख रहा था जिसने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है.
तो आख़िरकार मीडिया के सूत्रों की वो बात सही निकली, जो कुछ दिनों से कही जा रही थी. यानी सौरभ गांगुली को टीम में इसलिए जगह मिली है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह सकें.
यानी सम्मानपूर्ण विदाई का एक मौक़ा. तो क्या ये बात भी मान ली जाए कि जिन सूत्रों के हवाले से ये ख़बर आई थी, वही सूत्र अनिल कुंबले के बारे में भी यही कह थे और ये भी कह रहे थे कि बाक़ी सीनियर्स का भी दिसंबर तक यही हाल होना है.
पिछले कुछ दिनों से इन वरिष्ठ खिलाड़ियों की सम्मानपूर्ण विदाई की बात ख़ूब ज़ोर-शोर से उठाई जा रही थी. मीडिया इसे पीट रहा था तो ये खिलाड़ी इससे इनकार कर रहे थे.
ये बहस का विषय हो सकता है कि इन सीनियर खिलाड़ियों को कब संन्यास कहना है, लेकिन क्या इस पर बहस नहीं होनी चाहिए कि बोर्ड ने इन खिलाड़ियों के साथ कैसा व्यवहार किया है.
गांगुली की अगुआई में भारतीय टीम ने कई ट्राफियां जीती हैं
क्या इस पर ज़ोर-शोर से चर्चा नहीं होनी चाहिए कि इन खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को क्या दिया है. लेकिन अफ़सोस की बात है कि अपने क्रिकेट करियर के आख़िरी दिनों में इन खिलाड़ियों को जिस दौर से गुज़रना पड़ रहा है, वैसी विदाई की तो उन्होंने कल्पना नहीं की होगी.
दो-ढ़ाई साल पहले गांगुली को बिना वजह टीम से बाहर किया गया था, पिछले साल विश्व कप के बाद सचिन जैसे खिलाड़ियों पर ख़ूब सवाल किए गए थे और पता नहीं क्या-क्या.
गांगुली ने पहले भी चुप रहकर अपनी वापसी के लिए यत्न किया. मीडिया में कुछ कह न पाने की बेबसी में उन्होंने कैसे ये क्षण जिए होंगे, मीडिया ने कभी ख़ुल कर उनका आकलन नहीं किया.
न ही कभी उनकी वापसी का जश्न ठीक से मना, जो मनना चाहिए था. बदले में ये हुआ कि श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक सिरीज़ क्या ख़राब खेली, रिटायरमेंट का दबाव ऐसा बना. जिसमें गांगुली ने आख़िरकार हार मान ली.
ऐसा क्रिकेटर और कप्तान जिसने मैदान में कभी हार नहीं मानी. जिसने भारतीय टीम को पेशेवर माहौल में जीत का नया दर्शन सिखाया, जिसने भारत को सफलता की ऐसी बुनियाद दी जिस पर आज इमारत खड़ी की जा रही है.
वर्ष 2004 के चैम्पियंस ट्रॉफ़ी के दौरान मुझे पहली बार गांगुली से सवाल करने का मौक़ा मिला था. गांगुली के आत्मविश्वास ने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था.
फिर पिछले साल 2007 के विश्व कप के दौरान मैंने वेस्टइंडीज़ में एक दूसरे शख़्स को देखा. एक ऐसा शख़्स जो अंदर ही अंदर टूट रहा था. मैदान पर खेलते, होटल के गलियारों में घूमते या फिर नेट प्रैक्टिस करते वो शख़्स वो नहीं रहा था जो दो साल पहले थे.
खिलाड़ियों के बीच भी उसका ये रुख़ मुझे बहुत चिंतित करता था. मैंने अपने कई पत्रकार साथियों को उसी समय कहा था गांगुली के साथ अच्छा नहीं हो रहा.
भारतीय टीम जब सुपर-8 में भी नहीं पहुँच पाई और श्रीलंका के हाथों हारने के बाद बाहर हुई तो स्टेडियम में मौजूद कई दर्शकों ने एक सुर में मांगकी- गांगुली को कप्तानी दो, हमें गांगुली जैसा कप्तान चाहिए, संघर्ष करने वाला कप्तान.
लेकिन न ऐसा होना था और न ऐसा हुआ. द्रविड़ के कप्तानी छोड़ने के बाद भी जब ऐसा नहीं हुआ तो लगा गांगुली को सम्मानपूर्ण विदाई देना कोई नहीं चाहता.
गांगुली की ख़ामोशी बहुत कुछ कहती थी. ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सिरीज़ में गांगुली बहुत अच्छा खेले. लेकिन वनडे से उन्हें बाहर कर दिया गया.
और अब वो दिन भी आया जब गांगुली ने अपना बल्ला टांगने की घोषणा कर दी.बात ये नहीं कि युवा पीढ़ी को टीम में मौक़ा नहीं मिलना चाहिए, बात ये भी नहीं कि लंबे समय तक ये खिलाड़ी अपने करियर को बेवजह ज़्यादा खींचे, बात सिर्फ़ इतनी है कि क्या वाकई गांगुली को सम्मानपूर्ण विदाई दी गई है.
पिछले तीन-चार सालों के दौरान गांगुली जैसे क्रिकेटर के साथ जो हुआ, उसने एक बेहतरीन खिलाड़ी और कामयाब कप्तान को तिल-तिल करके मारा है. संन्यास आज नहीं तो कल सबको लेना है. संन्यास शेन वॉर्न ने भी लिया, ग्लेन मैकग्रॉ ने भी और आने वाले समय में सचिन तेंदुलकर भी संन्यास ले लेंगे.
लेकिन संन्यास लेने के बाद गांगुली जैसे क्रिकेटरों को जिसका सबसे ज़्यादा अफ़सोस होगा, वो होगा, उनके चारों ओर बनाई गई उस परिधि के लिए, जिसके लिए वे कभी ज़िम्मेदार नहीं रहे.
चेहरे पर अजीब सी पीड़ा लिए जब गांगुली ने ये कहा- मैं इस सिरीज़ के बाद संन्यास ले लूँगा. आप सभी का धन्यवाद.., तो सच पूछिए एक सवाल मेरे मन में भी उठा- वो सम्मानपूर्वक जा रहे हैं या अपमान के साथ. फ़ैसला आप कीजिए.

गांगुली का रिकार्ड एक नज़र में...
ऑस्ट्रेलिया सीरिज़ से पहले तक.
टेस्ट मैच
109 टेस्ट.....180 पारियां......15 नाबाद.......6888 रन.....239 सर्वाधिक स्कोर...........41.74 औसत....51.36 स्ट्राइक रेट.....15 शतक...34 अर्धशतक......873 चौके.....55 छक्के..............71 कैच
एकदिवसीय मैच
311 वनडे....300 पारियां......23 नाबाद...11363 रन......183 सर्वाधिक......41.02औसत....73.70स्ट्राइक रेट......22 शतक...72 अर्धशतक....1122 चौके......190 छक्के..... 100 कैच.
गेंदबाज़ी
टेस्ट मैच
109 टेस्ट..... 99 पारी...3117 गेंदें....1681 रन.....32 विकेट....3/28सर्वश्रेष्ठ.....52.53 औसत...3.23 इकोनोमी रेट...
वनडे मैच
311 वनडे......171 पारी....4561गेंदें....100 विकेट....5/16सर्वश्रेष्ठ.....38.49 औसत....5.06 इकोनोमी रेट

मां के खुले नेत्र, काल रात्रि की हुई पूजा


मुजफ्फरपुर, : भगवती की सातवीं शक्तिकाल रात्रि की पूजा से ही नवरात्र पूजा की तीन दिवसीय महापूजा का शुभारंभ हो गया है। सोमवार को शहर की सभी दुर्गा पूजा समितियों में शास्त्रीय विधि विधान से अपराह्न दो बजे पूजा हुई। देवी मंदिरों में भी पानी बरसने के पूर्व तक सुबह तो लंबी कतार लगी थी लेकिन इन्द्र देव की बाधा के बाद भीड़ घरों में सिमट गयी। रविवार को बिल्वा आमंत्रण के बाद आज भगवती के स्वागत में फिर पूजा समितियों ने बेल वृक्ष पर जाकर भगवती के लिए ताजे बेलपत्र तोड़कर लाये। जूरन छपरा पूजा समिति में दो बजे पूरे विधि विधान से भगवती दुर्गा की पूजा हुई और प्रसाद वितरण हुआ। यही क्रम शहर के गोला स्थान दुर्गा पूजा समिति, सरैयागंज, पंकज मार्केट, बनारस बैंक चौक, रामदयालु नगर, अघोरिया बाजार, छाता चौक आदि में जारी रहा, जो शाम तक चलता रहा। गनीमत रही कि इन्द्र देव ने भगवती की पूजा के लिए वर्षा रोक दी। उधर, मंदिरों में भी सुबह वर्षा होने के पूर्व तक काफी भीड़ रही। देवी मंदिर में तो मंदिर द्वार से पानी टंकी चौक तक श्रद्धालुओं की भीड़ थी लेकिन वर्षा के बाद सन्नाटा छा गया। सुबह का दृश्य जरूर बड़ा ही भक्ति मय रहा। सप्तम काल रात्रि की पूजा आराधना में लंबी कतारों के दौरान हाथों में फूल व प्रसाद लिए लोग डटे रहे। रमना स्थित भगवती त्रिपुर सुंदरी गुलाबी परिधान में खूब फब रही थीं। श्रद्धालुओं की जुबान पर भगवती का गुणगान था। यही हाल बगलामुखी मंदिर, सिकंदरपुर स्थित काली मंदिर, नवदुर्गा मंदिर, दुर्गा स्थान, जंगली माई स्थान, दुर्गा स्थान, महामाया स्थान, शाकम्भरी देवी समेत अन्य देवी मंदिरों का रहा।

वैशाली स्तूप की अनुकृति होगा मुजफ्फरपुर जंक्शन


मुजफ्फरपुर जंक्शन को वैशाली शांति स्तूप का स्वरूप दिया जायेगा। इसके लिए पूर्व मध्य रेलवे ने एक करोड़ रुपये खर्च करने की स्वीकृति दी है। सोनपुर रेल मंडल के अभियंता ने इसके लिए नक्शा भी तैयार कर लिया है। अब शीघ्र ही स्तूप की अनुकृति का निर्माण शुरू किया जायेगा। इसके साथ ही स्टेशन प्रांगण स्थित अशोक स्तम्भ वाली जगह का नवीकरण कर वहां झरनों से सुसज्जित रंग-बिरंगे फूलों का गार्डेन बनाया जायेगा। सोनपुर रेल मंडल के प्रबंधक प्रमोद कुमार ने बताया कि मुजफ्फरपुर उत्तर बिहार का प्रमुख स्टेशन है। इसको देखते हुए स्टेशन का विकास और इसे आकर्षक स्वरूप देने के लिए प्लेटफार्म से लेकर स्टेशन प्रांगण तक को सुसज्जित किया जा रहा है। सोनपुर रेल मंडल अभियंता-थ्री आरएन झा द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। कुमार ने बताया कि स्टेशन प्रांगण में बने अशोक स्तम्भ वाली जगह पर अब वाहन का पड़ाव नहीं होगा। इसके लिए रेलवे सुरक्षा बल को तैनात किया गया है। स्टेशन पर आनेवाले वाहन अब नये पार्किंग स्थल पर ही लगाये जायेंगे। कोई भी वाहन अशोक स्तम्भ के आसपास खड़ा नहीं होगा। इसके लिए आरपीएफ को सख्त हिदायत दी गयी है।

शेयर बाज़ारों में संकट की स्थिति

जो वित्तीय संकट अमरीका से शुरु हुआ था उसका असर पूरी दुनिया पर दिखाई दे रहा है. इसके चलते शेयर बाज़ारों में संकट की स्थिति दिख रही है.
वॉल स्ट्रीट में डाउ जोन्स 370 अंक गिरकर 2004 के बाद पहली बार 10 हज़ार से नीचे चला गया.
ब्रिटेन और सभी बड़े यूरोपीय शेयर बाज़ारों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है.
उधर एशियाई शेयर बाज़ार में भी गिरावट का दौर जारी है और टोक्यो शेयर बाज़ार में लगातार दूसरे दिन कारोबार भारी गिरावट के साथ शुरु हुआ है.
भारत में भी शेयर बाज़ार में सोमवार को भारी गिरावट दर्ज़ हुई. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक 724 अंकों की गिरावट के साथ 11801 के स्तर पर बंद हुआ. बाज़ार दो साल के अपने न्यूनतम स्तर पर था.
निवेशकों को डर है कि सरकारें जो निर्णय ले रही हैं वे संकट से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
अरबों डॉलर डूबे
सोमवार को दुनिया के शेयर बाज़ारों से, अरबों डॉलर का सफ़ाया हो गया.
सबसे पहले एशियाई बाज़ार खुले और खुलते ही गिरे. जब यूरोपीय बज़ारों का समय आया तो उनकी शुरुआत भी बिकवाली से हुई.
पेरिस के सीएसी फ़ौर्टी ने अब तक की सबसे भारी गिरावट देखी. वह नौ प्रतिशत से भी अधिक नीचे गिरा. फ़्रैंकफ़र्ट के डीएऐक्स सूचकांक में सात प्रतिशत की गिरावट आई. लंदन में भी सात प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई जो पिछले 20 सालों में सबसे अधिक बताई जा रही है.
मैड्रिड, ब्रसल्स और मॉस्को तक के शेयर बाज़ारों में बिकवाली का दौर जारी रहा.
डाउ जोन्स 2004 के बाद न्यूनतम स्तर तक जा पहुँचा है
फिर न्यूयॉर्क के शेयर बाज़ार के खुलने की घंटी बजी, तो वहाँ भी घबराहट का माहौल था. व्यापारियों ने अटलांटिक महासागर पार के यूरोपीय बाज़ारों से संकेत लिया और एक समय ऐसा आया कि डाओ जोन्स 800 अंक गिर गया लेकिन कारोबार बंद होने के पहले बाज़ार कुछ संभला और कुल गिरावट 370 अंक की दर्ज की गई.
इसी तरह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक 724 अंकों की गिरावट के साथ 11801 के स्तर पर बंद हुआ. बाज़ार दो साल के अपने न्यूनतम स्तर पर था.
सभी शेयर बाज़ारों में सबसे ज़्यादा धक्का खाया बैंकों के शेयरों ने. लेकिन तेल के शेयर और उपभोग की वस्तुएँ बनाने वाली कम्पनियों के शेयर भी गिरे जो आम तौर पर अस्थिरता के माहौल में भी अपनी साख बनाए रखती हैं.
कहा जा रहा है कि दुनिया के शेयर बाज़ारों को उम्मीद थी कि केन्द्रीय बैंक, ब्याज़ दर में कटौती की घोषणा करेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
उन्हे यह भी समझ में आ रहा है कि अमरीकी संसद के आर्थिक पैकेज को लागू करने में समय लगेगा. सरकार को बैंको के ख़राब ऋण ख़रीदने के लिए एक ढांचा तैयार करना पड़ेगा और तब तक ऋण बाज़ार में तंगी बनी रहेगी.
लंबा दौर
जब अमरीकी संसद ने 700 अरब डॉलर के बचाव पैकेज को स्वीकृति दी, तब भी आर्थिक विश्लेषक कह रहे थे कि इससे बाज़ार शान्त नहीं होंगे और सोमवार को जिस तरह एशिया, यूरोप और अमरीका के शेयर बाज़ारों में धड़ाधड़ बिकवाली हुई उससे स्पष्ट हो गया कि आर्थिक अनिश्चितता का यह दौर लम्बा चलेगा.
" हमें इसमें जल्दबाज़ी नही करनी चाहिए. वित्तीय व्यवस्था में विश्वास बहाल करने में वक्त लगेगा "

जॉर्ज बुश
अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा कि इस आर्थिक पैकेज को प्रभावी होने में समय लगेगा.
उन्होंने कहा, "इस पैकेज का सबसे बुनियादी लक्ष्य ये है कि ऋण ख़त्म किया जाए जिससे एक बार फिर पैसे का लेन-देन शुरु हो सके. इसमें समय लगेगा. मैंने पिछले सप्ताह ही इस विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन ऐसी योजना को लागू करने में समय लगेगा जो प्रभावी हो और करदाताओं का पैसा बरबाद न करे."
राष्ट्रपति बुश का कहना था, "हमें इसमें जल्दबाज़ी नही करनी चाहिए. वित्तीय व्यवस्था में विश्वास बहाल करने में वक्त लगेगा."
यूरोपीय देशों की सरकारों ने भी निवेशकों को आश्वस्त करने की कोशिश की है कि उनकी वित्तीय व्यवस्था में स्थिरता है.
यूरोपीय संघ के अध्यक्ष और फ़्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी ने एक वक्तव्य पढ़कर सुनाया.
उन्होंने कहा, "हम सभी यूरोपीय देशों के प्रमुख यह कहते हैं कि हम वित्तीय व्यवस्था की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय करेंगे, चाहे इसके लिए केन्द्रीय बैंकों से पैसा उपलब्ध कराना हो या फिर जमा राशि का संरक्षण करना हो."
अपने बयान में उन्होंने कहा, "एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसका पैसा यूरोपीय संघ के देशों के बैंको में जमा हो और उसने कोई नुकसान उठाया हो. और हम आर्थिक व्यवस्था और खातेदारों की रक्षा के लिए सभी उपाय करते रहेंगे."

ANJALI JHA (NEWS DESK)

Monday, October 6, 2008

जब मिले दो दिग्गज :बंध गई समा

ये शाम ही कुछ हसीं थी . वैसे तो यह फिल्म द्रोना का परिमार था लेकिन यहाँ तो ...

जब मिले दो दिग्गज :बंध गई समा

ये शाम ही कुछ हसीं थी . वैसे तो यह फिल्म द्रोना का परिमार था लेकिन यहाँ तो .

Tuesday, September 30, 2008

शाहरुख़ की युवा पीढ़ी से अपील

शाहरुख़ रविवार को दावत-ए-सहरी में शामिल हुए
हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के किंग कहे जाने वाले शाहरुख़ ख़ान ने युवा पीढ़ी से अपील की है कि वे आतंकवाद और हिंसा का रास्ता छोड़ दें.
देश के कई हिस्सों में हाल के बम धमाकों का ज़िक्र करते हुए शाहरुख़ ख़ान ने देश में सांप्रदायिक सदभाव बनाए रखने की अपील की है.
मुंबई में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने दावत-ए-सहरी का आयोजन किया था. इस आयोजन के मौक़े पर पत्रकारों से बातचीत में शाहरुख़ ख़ान ने ये बातें कहीं.
शाहरुख़ ने कहा, "कृपाशंकर सिंह का दावत-ए-सहरी का आयोजन करना ही ये साबित करता है कि इस्लाम और हिंदू धर्म भाईचारा और शांति को बढ़ावा देते हैं."
अपील
हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार ने युवा पीढ़ी से आतंक का रास्ता छोड़ने की अपील की और कहा,

"हाल की घटनाओं से न सिर्फ़ मुझे सदमा लगा है बल्कि शर्म भी आई है. ये सब अब रुकना चाहिए."
एक मुसलमान होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि मैं शांति का संदेश दूँ क्योंकि इस्लाम भी यही संदेश देता है, इस्लाम हिंसा की शिक्षा नहीं देता
शाहरुख़ ख़ान
उन्होंने कहा कि एक मुसलमान होने के नाते उनका कर्तव्य है कि वे शांति का संदेश फैलाएँ क्योंकि इस्लाम भी यही संदेश देता है, इस्लाम हिंसा की शिक्षा नहीं देता.
उन्होंने कहा कि रमज़ान का महीना पवित्र महीना होता है और इस महीने के दौरान ख़ुदा सबकी प्रार्थना का जवाब देते हैं. शाहरुख़ ने स्वीकार किया कि रमज़ान के दौरान वे नियमित रूप से रोज़ा नहीं रख पाए.
उन्होंने कहा कि व्यस्त कार्यक्रम के चलते उन्होंने सिर्फ़ सात दिन ही रोज़ा रखा था. इस समय रमज़ान का पवित्र महीना चल रहा है और माना जा रहा है कि एक अक्तूबर को ईद मनाई जाएगी
.

गुजरात में विस्फोट: एक की मौत

गुजरात के साबरकाँठा ज़िले के मोडासा शहर में देर शाम एक विस्फोट होने की ख़बर है.
अधिकारियों का कहना है कि विस्फोट मुस्लिम बहुल इलाक़े में इफ़्तार के बाद रात 9 बजकर 40 मिनट पर हुआ.
इस विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हुई है और कम से कम सात लोग घायल हुए हैं.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विस्फोट एक मोटर साइकिल में हुआ है.
मरने वाले की पहचान 17 वर्षीय जैनुद्दीन आदिरमिया गोरी के रूप में की गई है.
घायलों को अस्पताल पहुँचाया गया है.
पत्रकार अजय उमठ ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से हुई बातचीत के आधार पर बताया कि विस्फोट से मोटरसाइकिल के पेट्रोल की टंकी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है.

अधिकारियों का कहना है कि यह देशी बम हो सकता है जिसका असर पेट्रोल की टंकी फटने से और ज़्यादा हो गई.
ज़िंदा बम मिले

इससे पहले सोमवार की सुबह गुजरात के ही अहमदाबाद में कालूपुरा इलाक़े में सरकार को 17 जीवित बम मिले थे.
एक कचरे के डिब्बे में मिले इन बमों को पुलिस के बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया.
इस घटना के बाद पुलिस ने पूरे शहर में सुरक्षा बढ़ा दी है.
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 26 जुलाई को अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 49 लोग मारे गए थे और 150 से ज़्यादा घायल हुए थे.
गुजरात में नवरात्र आज से ही शुरु हो रहा है. अहमदाबाद में बम बरामद होने के बाद विशेष एहतियाती क़दम उठाए जा रहे हैं.
इस बीच राजधानी दिल्ली से सटे फ़रीदाबाद में भी एक मंदिर के बाहर ज़िंदा बम बरामद किया गया. इसे निष्क्रिय कर दिया गया है.

Sunday, September 14, 2008

देश का माहौल बदलने की ज़रुरत'

विस्फोट में दिल्ली के मुख्य बाज़ारों को निशाना बनाया गया है'अगर दिल्ली में हुए ताज़ा विस्फोटों के पीछे चूक की बात करना शुरु करें तो बात हो जाएगी, सुरक्षा इंतज़ाम की, ख़ुफ़िया तंत्र की और सतर्कता की.
लेकिन एक बात स्पष्ट है कि आतंक की घटनाएँ सिर्फ़ तैनाती से नहीं रुक सकतीं. इसके लिए देश में माहौल को बदलना होगा और हर दिलोदिमाग में यह बात बिठानी होगी कि यह सरकार कार्रवाई करना चाहती है.

अगर कुछ हुआ तो दोषी लोगों को पकड़ा जाएगा और उन्हें सज़ा दी जाएगी.

इस समय जो माहौल है उसमें तो यह भी तय नहीं है कि जो घटना को अंजाम देगा उसे पकड़ा जाएगा, तय नहीं कि अगर पकड़ भी लिया गया तो सज़ा भी दी जाएगी और अगर सज़ा हो भी गई तो उसका कार्यान्वयन भी किया जाएगा.
अब तक तो आतंक से जुड़ी घटनाओं में सरकार कमज़ोर ही साबित हुई है.
संकेत
दिल्ली में जिन जगहों पर हमले हुए हैं वह एक ख़ास तरह के संकेत देता है.
इस बार हमला करने वालों ने कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश और करोल बाग़ जैसी जगहों को चुना है जहाँ आमतौर पर पढ़े-लिखे और संपन्न लोग आते हैं.
गृहराज्य मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया
यह बहुत अफ़सोस की बात है कि ख़ुफ़िया जानकारी के बाद भी राजधानी में हमले हो गए ऐसे मंत्री को तो अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए

प्रकाश सिंह
तो अब हमलावर पढ़े-लिखे लोगों को भी संकेत देना चाहते हैं कि अब वो भी सुरक्षित नहीं हैं और ऐसा नहीं है कि वो उन इलाक़ों में नहीं पहुच सकते जहाँ वो जाते रहे हैं.
इन हमलों से तो हमलावरों के दुस्साहस का ही परिचय मिलता है वो कहीं भी हमला कर सकते हैं और कभी भी हमला कर सकते हैं.
सख़्त क़ानून की ज़रूरत
गृहराज्यमंत्री शकील अहमद कह रहे हैं कि उनके पास सूचनाएँ थीं कि दिल्ली में आतंकी हमले हो सकते हैं और उसके बाद भी हमले हो गए.
यह बहुत अफ़सोस की बात है कि ख़ुफ़िया जानकारी के बाद भी राजधानी में हमले हो गए ऐसे मंत्री को तो अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
इतने लोग मारे गए और आप अभी भी गृहमंत्रालय में बैठे हुए हैं.
मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ कि इस देश में एक सख़्त आतंक विरोधी क़ानून की ज़रूरत है बल्कि मैं तो उन लोगों में से हूँ जो मानते हैं कि पोटा जैसा क़ानून भी पुराना पड़ चुका है.
जो घटनाएँ देश में हो रही हैं उसे अब पोटा से भी निपटा जा सकता.
दिक़्कत यह है कि हम कार्रवाई इतनी देर से करते हैं जब मर्ज़ बहुत बढ़ चुका होता है.

गणेश विसर्जन के लिए कड़ी सुरक्षा


दिल्ली में बम धमाकों के बाद मुंबई में गणेश विसर्जन के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गाया है.
मुंबई में पिछले 10 दिनों से चल रहे गणेश उत्सव की समाप्ति के साथ ही रविवार को गणेश विसर्जन की तैयारी चल रही है.
गृहमंत्री आरआर पाटिल ने पत्रकारों से कहा कि गणेश विसर्जन के मद्देनज़र सभी महत्वपूर्ण स्थलों पर विशेष रूप से सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं और चौकसी बरती जा रही है.
रमज़ान और अहमदाबाद में हुए बम धमाकों के मद्देनज़र मुंबई में पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी, लेकिन अब दिल्ली में हुए बम धमाकों के बाद तो मुंबई में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मुंबई में केंद्रीय सुरक्षा बल की 20 कंपनियाँ और तैनात कर दी गई हैं.
सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए छोटे और निजी वाहनों को किसी भी विसर्जन स्थल तक नहीं जाने दिया जाएगा.
इसके अलावा किसी को भी छोटे या बड़े प्लास्टिक के थैलों में गणेश प्रतिमा के साथ बहाने के लिए फूल या मालाएँ भी नहीं ले जाने दी जाएंगी.
अनुमान है कि गणेश विसर्जन के लिए लाखों लोग अपने घरों से बाहर होंगे
गणेश प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए जाने वाले ट्रकों को छह मीटर तक की ऊँचाई या इससे कम ऊँचाई वाले ट्रकों को ही कड़ी जाँच के बाद विसर्जन के लिए जाने की अनुमति दी जाएगी.
इसके अलावा मुंबई में ज़्यादातर विसर्जन स्थलों पर हो रही कार्रवाई पर नज़र रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं.
पुलिस का अनुमान है कि गणेश प्रतिमा के विसर्जन के लिए लाखों लोग अपने-अपने घरों से बाहर होंगे.
विसर्जन के मौक़े पर ट्रैफ़िक समस्या से निपटने के लिए पुलिस ने विशेष इंतज़ाम किए हैं.
मुंबई में कुछ प्रमुख सड़कों पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है.
ANJALI JHA (DELHI)

Saturday, September 13, 2008

तस्वीरों में- दिल्ली धमाकों की तस्वीरें


दिल्ली में पाँच धमाके, 18 की मौत


भारत की राजधानी दिल्ली में कम से कम पाँच धमाके हुए हैं. इन धमाकों में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है और 90 से ज़्यादा घायल हुए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश हाई एलर्ट पर हैं. महत्वपूर्ण है कि तीन जगहों - सेंट्रल पार्क, रीगल सिनेमा और इंडिया गेट पर बम निष्क्रिय किए गए हैं.
ग़फ़्फ़ार मार्केट ग्रेटर कैलाश-1, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए हैं. इनमें से दो जगह पर सीएनजी गैस सिलिंडर के धमाके हुए हैं. घायलों को राम मनोहर लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पतालों में ले जाया जा रहा है

दिल्ली पुलिस
दिल्ली में भारतीय समयानुसार लगभग साढ़े छह बजे सबसे पहले करोल बाग- ग़फ़्फ़ार मार्केट इलाक़े में धमाके की ख़बर आई. इसके बाद ग्रेटर कैलाश-1, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए. महत्वपूर्ण है कि इंडिया गेट के पास एक बम को पुलिस दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया है.
दिल्ली धमाकों की तस्वीरें
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने बीबीसी को बताया, "ग़फ़्फ़ार मार्केट ग्रेटर कैलाश, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए हैं. इनमें से दो जगह पर सीएनजी गैस सिलिंडर के धमाके हुए हैं. घायलों को राम मनोहर लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पतालों में ले जाया जा रहा है."
दिल्ली राममनोहर लोहिया अस्पताल के आपात विभाग के प्रमुख डॉक्टर एसके शर्मा ने बीबीसी संवाददाता श्याम सुंदर को बताया, "अस्पताल में 85 घायल लोगों को लाया गया जिनमें से नौ की मौत हो गई. अब भी 35 लोगो गंभीर रूप से घायल हैं और पाँच का ऑपरेशन हो गया है. लेकिन घायल अब भी अस्पताल पहुँच रहे हैं."
अस्पताल में 85 घायल लोगों को लाया गया जिनमें से नौ की मौत हो गई. अब भी 35 लोगो गंभीर रूप से घायल हैं और पाँच का ऑपरेशन हो गया है. लेकिन घायल अब भी अस्पताल पहुँच रहे हैं

आरएमएल अस्पताल के डॉक्टर
बीबीसी संवाददाता आलोक कुमार के अनुसार लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में आठ घायल लोगों को ले जाया गया जिनमें से से दो हालत गंभीर है.
इन धमाकों के ठीक पहले कुछ समाचार चैनलों को एक ईमेल मिला जिसमें इंडियन मुजाहिदीन नाम के एक संगठन ने इन हमलों की ज़िम्मेदार ली है. हालाँकि गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि इस समय किसी भी संगठन का नाम लेना बहुत मुश्किल है लेकिन हम इन कारनामों को अंजाम देने वाले लोगों को ख़ोज निकालेंगे.
अहमदाबाद धमाकों के ठीक पहले भी इसी तरह के ईमेल में इस संगठन ने धमाकों की ज़िम्मेदारी ली थी.
मैंने एक कूड़ेदान के पास से धुँआ उठता देखा और एक महिला को गिरते हुए भी देखा. एक ऑटो में कुछ घायलों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन देखते ही देखते ऑटो का फ़र्श ख़ून से भर गया.

कनॉट प्लेस में एक प्रत्यक्षदर्शी
अफ़रा-तफ़री का माहौल
करोल बाग- ग़फ़्फ़ार मार्केट के भीड़-भाड़ वाले इलाक़े में जब विस्फोट हुआ तो वहाँ अफ़रा-तफ़री फैल गई. कई दमकल वाहन उस इलाक़े में पहुँचे लेकिन संकरी गलियों से इन वाहनों और एंबुलेंस का उस क्षेत्र में दाख़िल होने में काफ़ी दिक्कत पेश आई.
उस धमाके में कई लोग हताहत हुए क्योंकि शनिवार की शाम वहाँ काफ़ी गहमागहमी थी. इसके बाद ग्रेटर कैलाश के पॉश इलाक़े की एम-ब्लाक मार्किट और कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड पर धमाकों की ख़बर आई.
हमें लगा कि किसी गाड़ी में या सिलेंडर में धमाका हुआ है. इसके बाद कुछ अफ़रा-तफ़री सी मच गई. कुछ लोग यह देखने के लिए लपके कि किस वजह से धमाका हुआ है. धमाका होने के कुछ ही देर बल्कि 10-15 मिनट के अंतराल पर ही एक और धमाका हुआ.

जय कुमार, प्रत्यक्षदर्शी
बीबीसी संवाददाता पाणिनी आनंद के अनुसार ग्रेटर कैलाश-1 में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्हें दो धमाके सुने. पहले धमाके के बाद ही लोगों में अफ़रा-तफ़री फैल गई और मार्किट में भगदड़ मच गई. कई लोगों के शरीर में वाहनों और दुकानों के टूटे हुए शीशे लगे लेकिन किसी को गंभीर चोट नहीं आई.
कनॉट प्लेस में एक प्रत्यक्षदर्शी ने बीबीसी संवाददाता नादिया परवेज़ को बताया, "बाराखंभा रोड पर गोपालदास इमारत के पास धमाके की आवाज़ सुनाई दी और फिर मैने एक कूड़ेदान के पास से धुँआ उठता देखा. मैंने एक महिला को गिरते हुए भी देखा. एक ऑटो में कुछ घायलों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन देखते ही देखते ऑटो का फ़र्श ख़ून से भर गया. कई लोगों को पुलिस वाहनों ने अस्पताल पहुँचाया."
लेकिन दूसरी ओर लोगों में तनाव इतना बढ़ गया कि इन इलाक़ों के आसपास की सड़कें जाम हो गईं और सभी लोग घटनास्थल से दूर भागने लगे. शहर में तनाव व्याप्त है और अनेक बाज़ार खाली हो गए हैं.
हाल में हुए प्रमुख चरमपंथी हमले इस प्रकार हैं:
29 अक्तूबर 2005 - दिल्ली में तीन जग़हों पर हुए बम धमाकों में 62 लोग मारे गए और अनेक लोग घायल हुए.
7 मार्च 2006 - उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रेलवे स्टेशन और संकटमोचन मंदिर में हुए बम धमाकों में 20 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
11 जुलाई 2006 - मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों में 170 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए.
8 सितंबर 2006 - महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मालेगाँव शहर में एक मस्जिद के पास हुए तीन बम धमाकों में 37 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए.
18 फ़रवरी 2007 - दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस में हुए दो धमाकों में 66 लोग जलकर मारे गए जिसमें से अधिकतर पाकिस्तानी थे.
18 मई 2007 - हैदराबाद की मक्का मस्जिद में नमाज़ के दौरान हुए धमाके में 11 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
25 अगस्त 2007 - हैदराबाद में हुए बम विस्फोट में 42 लोग मारे गए और लगभग सौ लोग घायल हुए.
11 अक्तूबर 2007 - राजस्थान में अजमेर स्थित ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हुए धमाके में दो लोग मारे गए

Friday, September 12, 2008

परमाणु समझौता अमरीकी संसद में पेश


जुलाई, 2005 में मनमोहन-बुश बातचीत के बाद इस समझौते की प्रक्रिया शुरु हुई थी
भारत-अमरीका परमाणु समझौते संबंधी दस्तावेज़ को अमरीकी संसद में पेश कर दिया गया है. वहाँ इसे अंतिम मंज़ूरी मिलने के बाद ही समझौता लागू हो सकेगा.
अमरीकी विदेश उपमंत्री रिचर्ड बाउचर ने कहा है कि संसद के सामने एक मज़बूत दस्तावेज़ पेश किया गया है और आशा करनी चाहिए कि कांग्रेस इसे मंज़ूरी देने के लिए समय निकालेगी.
राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भी बयान जारी करके उम्मीद जताई है कि कांग्रेस इसे इसी सत्र में पारित कर देगी.
अमरीकी संसद का सत्रावसान 26 सितंबर को हो रहा है और बुश प्रशासन को अमरीकी सांसदों को राज़ी करना होगा कि वे सत्रावसान से पहले ही इस समझौते को मंज़ूरी दे दें.
हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री को 25 सितंबर को व्हाइट हाउस पहुँचने का आमंत्रण दिया है. इसे संकेत के रुप में देखा जा रहा है कि उस दिन तक संसद से समझौते को मंज़ूरी मिल जाएगी और दोनों नेता समझौते पर अंतिम हस्ताक्षर कर सकेंगे.
राष्ट्रपति बुश और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए इससे अच्छा प्रतीक कुछ नहीं हो सकता कि दोनों टेलीविज़न कैमरों के सामने इस समझौते पर हस्ताक्षर करें.
लेकिन इस समय कोई भी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि यह समझौता इसी सत्र में पारित हो जाएगा क्योंकि वहाँ इस समय राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी चल रही है और वक़्त बहुत कम है.
मंज़ूरी की उम्मीद
अमरीकी उपविदेशमंत्री रिचर्ड बाउचर ने कहा है कि भारत-अमरीका असैन्य परमाणु समझौते का जो दस्तावेज़ संसद में पेश किया गया है वह एक मज़बूत दस्तावेज़ है.
उन्होंने कहा, "हमें अंदाज़ा है कि संसद के पास समय काफ़ी कम है और उसके सामने करने को बहुत से काम हैं लेकिन उम्मीद करनी चाहिए कि संसद किसी तरह इसके लिए समय निकालेंगे."
अमूमन ऐसे समझौतों को पारित करने के लिए 30 दिनों का सत्र बुलाए जाने की ज़रूरत होती है. लेकिन 26 सितंबर को सत्रावसान हो रहा है इसलिए ऐसे सत्र की संभावना ही नहीं है.
इसलिए संसद को इससे पहले ही इस समझौते को मंज़ूरी देनी होगी.
'50-50'
मुझे ख़ुशी है कि राष्ट्रपति बुश ने यह समझौता कांग्रेस में पेश कर दिया है और मैं अगले हफ़्ते ही इसे बहस के लिए रखूँगा

जो बाइडन, विदेशी मामलों की समिति के चेयरमैन
इस समझौते को संसद में पेश किए जाने के बाद कई सांसदों का बयान आया है.
सबसे अहम प्रतिक्रिया रही सीनेट के मेजॉरिटी लीडर हैरी रीड ने अपने बयान में कहा है कि वे यह देखेंगे कि क्या इस समझौते को इसी साल पारित किए जाने की कोई गुंजाइश है.
दूसरा अहम बयान आया है सीनेट में विदेशी मामलों की समिति के चेयरमैन जो बाइडन का, जो डेमोक्रैटिक पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी हैं.
उन्होंने कहा, "मुझे ख़ुशी है कि राष्ट्रपति बुश ने यह समझौता कांग्रेस में पेश कर दिया है और मैं अगले हफ़्ते ही इसे बहस के लिए रखूँगा."
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बयान आया है जिम मैक्डर्मक का. वे इस समझौते के हक़ में है और इस पर काफ़ी काम कर चुके हैं.
उनका कहना है कि वे इसके इस साल पारित होने की संभावना फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी यानी 50 प्रतिशत देखते हैं.
उनका तर्क था, "जिस तरह भारत में चुनाव के समय सब कुछ ठप्प हो जाता है इसी तरह यहाँ भी राष्ट्रपति चुनाव होता है."
इस बात की पूरी संभावना है कि इसी सत्र में इसे पारित कर दिया जाए क्योंकि रिपब्लिकन पूरी तरह से इसके साथ हैं और डेमोक्रेट भी भारत के साथ इस समझौते को तोड़ना नहीं चाहेंगे

अनुपम श्रीवास्तव
जिम मैक्डर्मक का कहना था कि इस समझौते को बंदूक की गोली की तरह से पास नहीं कर सकते.
कई और कांग्रेस सदस्य कह रहे हैं कि वे इस समझौते का महत्व समझते हैं.
संभावना
ग़ौरतलब है कि भारत-अमरीका परमाणु समझौते को परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह की मंज़ूरी मिलने के बाद अब सिर्फ़ अमरीकी कांग्रेस से भारत-अमरीका परमाणु समझौते को अंतिम मंज़ूरी मिलनी बाक़ी है.
भारत-अमरीका के बीच हुए 123 समझौते पर अमरीकी संसद को हरी झंडी देनी होगी, उसके बाद ही ये समझौता प्रभावी हो पाएगा.
जॉर्जिया विश्वविद्यालय में एशिया कार्यक्रम के निदेशक अनुपम श्रीवास्तव का मानना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि इसी सत्र में इसे पारित कर दिया जाए क्योंकि रिपब्लिकन पूरी तरह से इसके साथ हैं और डेमोक्रेट भी भारत के साथ इस समझौते को तोड़ना नहीं चाहेंगे.
उनका मानना है कि अगर डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य इसे रोकने की कोशिश भी करेंगे तो उन्हें अपने ही उद्योग जगत के दबाव का सामना करना पड़ेगा.
उद्योग जगत का तर्क होगा कि भारत के लिए परमाणु ईधन का रास्ता साफ़ तो करवाया अमरीका ने पर इसका लाभ रूस और फ्रांस जैसे देशों को मिल रहा है, अमरीका को नहीं.

तस्वीर

ओम शांति ओम

स्मिथ, यूरेनियम दॆ दॊ


11 सितंबर को नई दिल्ली में आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री स्टीफन स्मिथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत करते हुए।

Tuesday, September 9, 2008

आशा ने परिजनों संग मनाया जन्मदिन


September 08,
मुंबई। अपनी गायकी से छह पीढि़यों का दिल बहलाकर नए प्रतिमान स्थापित कर चुकी पुरकशिश आवाज की मल्लिका आशा भोंसले ने जीवन के 75 बसंत पूरे कर लिए हैं। उन्होंने सोमवार को अपना जन्म दिन परिजनों और प्रशंसकों के बीच मनाया।
हर पीढ़ी के दिल की धड़कन रही बहुविध गानों को सुर देने वाली आशा भोंसले की प्लेटिनम जुबली के मौके पर सारेगामा इंडिया लिमिटेड ने प्रीसियस प्लेटिनम नामक नया एलबम जारी किया। जब आशा ने 1948 में गायिकी का सफर शुरू किया था तब फिल्म जगत में शमशाद बेगम, गीता दत्ता और लता मंगेशकर पा‌र्श्व गायिकी के क्षेत्र में काबिज थीं। आशा की आवाज की मधुरता, गाने की अलहदा स्टाइल और उतार चढ़ाव ने पा‌र्श्व गायन में उनका एक अलग मुकाम बना दिया। गाने की स्थिति के साथ आवाज में परिवर्तन करना उनकी एक और खासियत रही है।
आशा ने हिंदी और मराठी सहित भारतीय भाषाओं में 12 हजार से अधिक गाने गाए। उनके एलबमों ने भी लोगों को बहुत लुभाया। उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

फोन पर ही परवान चढ़ा सलेम-मोनिका का इश्क


Sep 08, 09:44 pm
नई दिल्ली। अबू सलेम से आंखें नहीं लड़ीं उसकी। उसने तो फोन पर ही उसे दिल दे दिया। यह खुलासा किया है अबू सलेम की प्रेमिका और पूर्व अभिनेत्री मोनिका बेदी ने।
सलेम से संबंधों और जाली पासपोर्ट मामले में फंसने के कारण कुछ वक्त जेल में बिताने की वजह से मोनिका सार्वजनिक जिंदगी से काफी दूर हो गई थी। लेकिन अभी हाल ही में रियलिटी शो बिग बॉस में उसे लोगों से मुखातिब होने का मौका मिला तो उसने मन की तमाम बातें उड़ेल दीं। उसने मुंबई बम कांड के प्रमुख आरोपी अबू सलेम के साथ बिताई जिंदगी के कई राज फाश किए हैं। मोनिका ने बताया कि उसे फोन पर ही अबू से मुहब्बत हो गई थी। लेकिन जब वह उससे भारत लौटने की जिद करती थी, वह आपा खो देता था। गौरतलब है कि मोनिका को सलेम के साथ पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था।
मोनिका का कहना है कि सलेम कभी कभी आपा खो देते थे। खासकर मेरे भारत लौटने की जिद करने पर। उसे डर था कि भारत में पुलिस मुझसे उसके बारे में पूछताछ करेगी और उस तक पहुंच जाएगी। मोनिका के मुताबिक 1999 में सलेम ने उसे एक स्टेज शो के लिए अर्सलान अली के नाम से फोन किया। हालांकि यह शो कभी हुआ ही नहीं। फोन पर शुरू हुआ बातों का सिलसिला कब प्यार में बदला इसका पता ही नहीं चला। 8 महीने तक फोन पर बात के बाद दोनों की पहली मुलाकात दुबई में हुई।
इससे पहले मोनिका दर्जन भर से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी थीं। सलेम ने अपने ऊपर चल रहे कुछ मुकदमों की बात उसे बताई थी। लेकिन यह नहीं बताया कि पुलिस उसे मुंबई बम कांड या संजय दत्त को एके-47 देने जैसे संगीन मामलों में तलाश कर रही है। मोनिका कहती है कि उसकी असलियत का पता मुझे पहली बार पुर्तगाल की जेल में तब चला जब मेरे वकील ने उस पर लगे आरोपों के कागजात दिखाए।
छह साल साथ रहने के बाद मोनिका, सलेम से कोई वास्ता नहीं रखना चाहती। वह कहती है कि साथ रहने पर पता चला कि हम दोनों अलग-अलग किस्म के इंसान हैं। अब रियलिटी शो से बाहर हो चुकी मोनिका कुछ ऐसा करना चाहती है कि उसके माता-पिता उस पर फख्र कर सकें।

Saturday, September 6, 2008

ज़रदारी चुने गए पाकिस्तान के राष्ट्रपति


पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ़ अली ज़रदारी देश के नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं.

देश की निर्वाचित संस्थाओं के निर्वाचक मंडल के ज़रिए हुए चुनाव में ज़रदारी ने भारी अंतर से जीत हासिल की.

इस चुनाव में चारों प्रांतों की एसेंबलियों, नेशनल एसेंबली और सीनेट के सदस्यों ने मतदान किया था.

परवेज़ मुशर्रफ़ के राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद ये चुनाव आयोजित कराए गए, इस चुनाव में तीन उम्मीदवार मैदान में थे.

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) ने पूर्व न्यायाधीश सईदुज़माँ सिद्दीक़ी को और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) ने मुशाहिद हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया था.

सीनेट और नेशनल एसेंबली में कुल 426 सांसदों ने मतदान किया जिसमें से 281 वोट ज़रदारी को मिले जबकि सिद्दीक़ी को 111 वोट मिले, जबकि मुशाहिद हुसैन को 34.

आसिफ़ अली ज़रदारी के अपने प्रांत सिंध में प्रांतीय एसेंबली के सारे वोट झटक लिए, वहाँ कुल 162 वोट वैध पाए गए और वे सभी ज़रदारी के खाते में गए.

बलूचिस्तान में ज़रदारी को 59 और दोनों अन्य उम्मीदवारों को सिर्फ़ 2-2 वोट मिले.

पंजाब एकमात्र प्रांत है जहाँ ज़रदारी को जीत नहीं मिली, वहाँ ज़रदारी को सिर्फ़ 123 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सईदुज़माँ सिद्दीक़ी को 201.

सूबा सरहद में भी ज़रदारी ने 107 वोट हासिल किए जबकि सिद्दीक़ी को सिर्फ़ दस वोट मिले.

आसिफ़ अली ज़रदारी पिछले वर्ष दिसंबर में पत्नी बेनज़ीर भुट्टो की हत्या के बाद राजनीति में आए.

Wednesday, September 3, 2008

तस्वीरॊ मॆ बाध्

Picture captured By NASA






badh ki bibhishika ko karib se dekhta ek aadmi

'जाएँ तो जाएँ कहाँ?'


बिहार में आई बाढ़ का नज़ारा हमें उस समय दिखा जब हम मधेपुरा पहुँचे. वहाँ से आगे बढ़ते हुए हमारा सामना बाढ़ पीड़ितों से हुआ जो आक्रोश से भरे हुए थे.
शहर की हालत यह की जहाँ तक हमारी नज़र जा रही थी हमें सिर्फ़ पानी ही पानी नज़र आ रहा था. मकान डूबे हुए थे, दुकानें डूबीं हुई थीं और कुछ आदमी भी पानी में डूबे हुए मिले.
मधेपुरा के कुछ गाँवों में सन्नाटा पसरा था, खामोशी छाई थी और पूरे के पूरे गाँव ही खाली थे. वहाँ न इंसान थे, न जानवर.
पानी ही पानी
मधेपुरा से पूर्णिया जाने वाली सड़क पर जो मंजर मैंने देखा उसे शब्दों में बयान कर पाना आसान नहीं है. यह सड़क आगे जाकर दस फुट पानी में डूबी हुई है. आगे कोई रास्ता नहीं है, सिर्फ़ पानी ही पानी.
इस पूरे रास्ते पर मुझे लोग शहर की ओर भागते हुए नज़र आए. कुछ लोग अपने जानवरों को हाँक कर ले जा रहे थे तो कुछ अपने बच्चों को साइकिल पर बैठाए हुए भाग रहे थे. कुछ लोग अपने जीवनभर की बची हुई कमाई को बैलगाड़ी पर लादे हुए भागे जा रहे थे. ऐसे लोगों की संख्या एक-दो या सौ-पचास नहीं बल्कि हज़ारों में थी.
ये लोग भाग तो रहे थे पर उन्हें यह नहीं पता था कि जाना कहाँ है. न खाने का ठिकाना और न सिर पर छत....बाढ़ सब कुछ लील चुकी है.
इस सड़क पर पंद्रह किलोमीटर दूर तक ऐसी कोई जगह नहीं है, जहाँ लोग न हों. सड़क के किनारे पर लोग ऊँचे-ऊँचे मचान बना रहे हैं, जिससे की अगर फिर बाढ़ आए तो कम से कम वे अपनी जान तो बचा सकें. यही नज़ारा मधेपुरा की अन्य सड़कों पर भी दिखा.
ज़िंदगी की खोज
कलेक्ट्रेट के रास्ते पर छोटी-बड़ी नावों से लदे हुए क़रीब दस ट्रक खड़े थे और कलेक्ट्रेट ऑफ़िस में उन लोगों की भीड़ जमा थी जो अपने परिजनों को बचाने की गुहार लगा रहे थे. वह कह रहे थे कि हमारे माँ-बाप मर रहे हैं कोई तो उन्हें बचा ले.
लोगों की आँखों में पानी के ख़ौफ़ को साफ़ देखा जा सकता है. मगर उनके सामने यह सवाल अब भी खड़ा है कि पानी से भागकर जाएँ तो जाएँ कहाँ. मैंने लोगों को घर छोड़ते हुए तो देखा था, लेकिन हज़ारों-हज़ार लोगों को गाँव छोड़ते हुए पहली बार देख रहा था.
दहशत की दहलीज़ पर ज़िंदगी बचाने के लिए जाते हुए लोगों के दर्द से मेरा दिल भी दहल गया. इनके सामने तो बस एक ही सवाल है कि जाएँ तो जाएँ कहाँ.

कोसी का जलस्तर घटा, परेशानी बरक़रार

बिहार में बाढ़ का क़हर बरपा रही कोसी नदी कहीं-कहीं कुछ कम हुआ है लेकिन उसका नए-नए इलाक़ों में प्रवेश जारी है.
जहाँ दो दिनों पहले पानी नहीं था वहाँ अब पानी भर आया है और लोग वहाँ से सुरक्षित स्थानों की तलाश में विस्थापित हो रहे हैं.
प्रशासन का दावा है कि बचाव और राहत कार्य युद्ध स्तर पर शुरु हो चुका है लेकिन बाढ़ पीड़ितों की हालत देखकर लगता है कि यह सहायता अपर्याप्त है.
सबसे बड़ी दिक्कत बचाव और राहत कार्य के समन्वय की है जिसकी कमी से सुविधाओं का ठीक तरह से उपयोग नहीं हो पा रहा है.
पिछले 16 दिनों में बाढ़ के तांडव में मरने वालों की संख्या अभी भी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ सौ से कम है लेकिन सहायता एजेंसियों और संवाददाताओं का कहना है कि यह संख्या कई गुना अधिक हो सकती है.
18 अगस्त को कोसी नदी के तटबंध टूटने से आई इस बाढ़ से बिहार के 16 ज़िले प्रभावित हैं लेकिन कोसी इलाक़े के चार ज़िलों सुपौल, सहरसा, अररिया और मधेपुरा में इसकी स्थिति ख़ासी गंभीर है.
बाढ़ पीड़ित 33 लाख लोगों में से 22 लाख तो कोसी इलाक़ों के चार ज़िलों से ही हैं.
राहत और बचाव कार्य
अधिकारियों का कहना है कि सेना की 20 टुकड़ियाँ राहत और बचाव कार्य में लगी हैं और बुधवार को पाँच और टुकड़ियाँ इस कार्य में लग जाएँगीं.
11 हेलिकॉप्टरों से बाढ़ में फँसे लोगों तक खाद्यसामग्री गिराई जा रही है लेकिन यह इतनी अपर्याप्त है कि कई इलाक़ों में लोग कई दिनों से भूखे सहायता का इंतज़ार कर रहे हैं.
जब कोई सहायता वहाँ पहुँचती है तब पता चल पाता है कि वे कब से राहत का इंतज़ार कर रहे थे.
अधिकारियों के अनुसार 1300 नौकाओं के माध्यम से बाढ़ प्रभावितों को बचाने और राहत शिविरों तक पहुँचाने के अभियान में जुटी हुई हैं. लेकिन एक नौका से कोई 20-25 लोगों को बचाया जा सकता है और लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक है.
लेकिन सरकारी दावे से अलग प्रभावित इलाक़ों से ख़बरें आ रही हैं कि लाखों बाढ़ पीड़ित अब भी राहत का इंतज़ार कर रहे हैं और राहत कार्य में व्यवस्था की बेहद कमी है.
बहुत से इलाक़ों में स्थानीय लोग राहत कार्यों में लगे हुए हैं
कई जगहों पर सरकारी मदद अभी भी नहीं पहुँची है और स्थानीय लोग अपने स्तर पर ही बाढ़ पीड़ितों की सहायता कर रहे हैं.
लेकिन बाढ़ पीड़ितों की संख्या बढ़ने के साथ अब लागों को समझ में नहीं आ रहा है कि सरकारी मदद के बिना यह कितने दिनों तक संभव हो सकेगा.
इस बीच बिहार में बाढ़ राहत के कार्य में जुटी संस्थाओं में से एक – ऐक्शन एड – का कहना है कि बाढ़ में मारे गए लोगों की संख्या 2000 के आस-पास हो सकती है.
वहाँ काम कर रहे लोगों का कहना है कि जहाँ तहाँ पानी में बहती लाशें दिख रही हैं.
ज्यादातर जानवरों की लाशें फूलकर उतरा रही हैं और अक्सर किसी इंसान की लाश भी दिख जाती है.
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि 15 लाख से अधिक मवेशी इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और उनके खाने के लिए चारे की कोई व्यवस्था अब तक नहीं की जा सकी है, यानी जानवर पिछले 16 दिन से भूखे हैं.
फँसे लोग
प्रशासन का कहना है कि सुपौल, सहरसा, अररिया और मधेपुरा ज़िलों के कई स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग अभी भी बाढ़ के बीच फँसे हुए हैं.
प्रशासन के अनुसार छापातुर, त्रिवेणीगंज, प्रतापगंज, वीरपुर कुमारखंड, चौसा, आलमनगर, ग्वालपाड़ा, सौर बाज़ार, बिहारीगंज, उदाकिशनगंज और सोनवर्षा में फँसे हुए लोगों की संख्या बहुत अधिक है.
नौसेना की तीन टुकड़ियों को बनमनरवी और नरपतगंज इलाक़ों में लोगों को निकालने के लिए लगाया गया है.
प्रशासन और सेना के बीच तालमेल की कमी दिख रही है क्योंकि कई जगह सेना के जवान इसलिए खाली बैठे हुए दिखे क्योंकि उन्हें प्रशासन की ओर से समय पर निर्देश नहीं मिल पा रहे हैं.
और सहायता की माँग
मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर के नेतृत्व में एक टीम ने बाढ़ग्रस्त इलाक़ों का दौरा किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की.
नीतीश कुमार ने केंद्र के सामने ज़रुरतों की नई सूची रखी है
इस दल में रक्षासचिव विजय सिंह, सीमासुरक्षा मामलों के गृहसचिव जनरैल सिंह, जलसंसाधन विकास मंत्री यूएन पाँजियार, आपदा प्रबंधन अधिकरण के सचिव एचएस ब्रह्मा आदि थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दल को बताया कि राज्य सरकार ने विकास आयुक्त के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है जो लोगों को बचाने और राहत पहुँचाने के कार्य को संभाल रही है.
केंद्रीय टीम ने राज्य सरकार से इस बात पर चर्चा की है कि राष्ट्रीय आपदा से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से और क्या मदद की जा सकती है.
नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बाढ़ पीड़ितों के लिए और सहायता की अपील की है और साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार अनाज के भंडारों से जल्द से जल्द अनाज दे जिससे कि उसे अविलंब बाढ़ पीड़ितों तक पहुँचाया जा सके.
मुख्यमंत्री ने 50 एंबुलेंस और पर्याप्त जीवन रक्षक दवाइयों की मांग की है.
केंद्रीय टीम ने राज्य की माँगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है.

@ बिहार लाईव @

बिहार लाईव में आप सब का स्वागत है .