सचिन तेंदुलकर पर पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एडम गिलक्रिस्ट की टिप्पणी को लेकर मामला गरम हो गया है.
एक ओर जहाँ भारत की क्रिकेट बिरादरी सचिन के समर्थन में खुल कर आ गई है, वहीं ख़बर है कि गिलक्रिस्ट ने ख़ुद सचिन को फ़ोन करके मामले पर अपना पक्ष रखा है.
दरअसल गिलक्रिस्ट की आने वाली आत्मकथा ट्रू कलर्स में इस साल के शुरू में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच विवादित सिडनी टेस्ट का जिक्र है और उसमें सचिन तेंदुलकर की भूमिका पर सवाल उठाया गया है.
गिलक्रिस्ट की आत्मकथा अगले सप्ताह बाज़ार में आने वाली है. सचिन तेंदुलकर की भूमिका पर सवाल उठाए जाने पर भारतीय क्रिकेट बिरादरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कई लोगों ने इसे किताब बेचने की सस्ती कोशिश बताया है.
दूसरी ओर एक भारतीय समाचार चैनल के साथ बातचीत में सचिन ने कहा कि गिलक्रिस्ट ने उन्हें फ़ोन किया और अपना पक्ष रखने की कोशिश की.
सचिन के मुताबिक़ गिलक्रिस्ट ने उन्हें बताया कि उनकी बातों को अलग तरह से पेश किया गया है. इससे आगे सचिन ने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में किताब लिखने के लिए काफ़ी पैसे मिलते हैं. इसलिए उसे बेचने के लिए ऐसी सनसनीख़ेज़ बातें लिखनी होती है. ये बाज़ार वाली रणनीति है
दिलीप वेंगसरकर
गिलक्रिस्ट की आने वाली आत्मकथा के अंश कई जगह प्रकाशित हुए हैं. गिलक्रिस्ट ने इस किताब में यह भी कहा है कि हारने के बाद सचिन हाथ मिलाने से भी कतराते हैं.
साथ ही उन्होंने इस साल के शुरू में विवादित सिडनी टेस्ट के दौरान उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं.
गिलक्रिस्ट की आत्मकथा के प्रकाशित कुछ अंशों में भज्जी-साइमंड्स विवाद का भी जिक्र है. गिलक्रिस्ट ने इसमें लिखा है कि सचिन तेंदुलकर ने पहली सुनवाई के दौरान ये कहा कि उन्होंने यह नहीं सुना था कि भज्जी ने साइमंड्स को क्या कहा लेकिन दूसरी बार वे इससे पलट गए.
दूसरी बार सचिन तेंदुलकर ने यह कहा कि उन्होंने भज्जी को हिंदी में कुछ कहा था जो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को 'मंकी' जैसा लगा. सिडनी टेस्ट के दौरान विवाद इतना बढ़ गया था कि एक बार लगा कि भारतीय टीम अपना दौरा रद्द कर देगी.
नाराज़गी
गिलक्रिस्ट की आत्मकथा के इस अंश से भारतीय क्रिकेट जगत में काफ़ी नाराज़गी है. पूर्व प्रमुख चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने इसे अपनी किताब बेचने की कोशिश बताया है.
भज्जी की सुनवाई के दौरान सचिन भी मौजूद थे
एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि गिलक्रिस्ट ने ऐसी बात कही है. उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में किताब लिखने के लिए काफ़ी पैसे मिलते हैं. इसलिए उसे बेचने के लिए ऐसी सनसनीख़ेज़ बातें लिखनी होती है. ये बाज़ार वाली रणनीति है."
दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गिलक्रिस्ट की टिप्पणी को आपत्ति जताई है. बीसीसीआई की मीडिया कमेटी के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने कहा, "सचिन तेंदुलकर के बारे में ऐसी टिप्पणी करते समय गिलक्रिस्ट को दो बार सोचना चाहिए था. सचिन न सिर्फ़ महान खिलाड़ी हैं बल्कि क्रिकेट की दुनिया में उनका बहुत सम्मान भी है."
उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद किसी व्यक्ति के प्रति सम्मान अगर कम होगा, तो वो होंगे एडम गिलक्रिस्ट. इस मामले में भारतीय खिलाड़ियों का पक्ष रखने वाले वकील वीआर मनोहर ने भी सचिन तेंदुलकर का बचाव किया है.
वीआर मनोहर मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर के पिता है. वीआर मनोहर ने कहा कि उस घटनाक्रम में मैथ्यू हेडन और माइकल क्लार्क इतनी दूर थे कि उन्होंने कुछ नहीं सुना होगा लेकिन वे एक ग़लत आरोप का समर्थन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सारे मामले में सचिन तेंदुलकर हरभजन सिंह के सबसे क़रीब खड़े थे.
बोर्ड के पूर्व सचिव निरंजन शाह ने भी गिलक्रिस्ट की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि गिलक्रिस्ट अपनी किताब से सनसनी फैलाना चाहते हैं.
भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे में टीम के मीडिया मैनेजर रहे एमवी श्रीधर ने भी गिलक्रिस्ट को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि किताब बेचने के लिए ऐसा किया जा रहा है.